scriptआतंकियों के मददगारों पर अंकुश की जरूरत | Terrorists and their Supporters must be curbed | Patrika News
ओपिनियन

आतंकियों के मददगारों पर अंकुश की जरूरत

दुर्भाग्य की बात है कि पिछले तीन दशक में आतंकवाद का सामना करने के लिए ठोस रणनीति बन ही नहीं पाई। मुठभेड़ में आतंककारियों का मुकाबला कर उन्हें मारने की रणनीति से आगे गंभीरता से काम हुआ ही नहीं।

Aug 10, 2021 / 08:07 am

Patrika Desk

jammu_kashmir.jpg
कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर अंकुश की तमाम कोशिशों के बावजूद जब-तब आतंकी वारदातें चिंता का कारण बनी हुई हैं। सोमवार की आतंकी वारदात, जिसमें भाजपा किसान मोर्चा नेता और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई, देश के सामने फिर चुनौती के रूप में सामने आई है। बीते तीन सालों में कश्मीर घाटी में आतंककारियों और उनके आकाओं के बीच गठजोड़ तोडऩे के प्रयास रंग लाए हैं। इस दौर में जहां चुन-चुन कर आतंककारी मारे गए, वहीं उनको पनपाने वालों पर भी शिकंजा कसा गया। आतंककारियों को मदद देने के आरोप में कई अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी हुई। आतंककारियों की वित्तीय सहायता करने वाले अनेक बिचौलियों पर भी कानून ने शिकंजा कसा। आतंकी फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दो दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के 50 ठिकानों पर छापे मारे। ये छापे अनंतनाग जिले में आतंकी फंडिंग मामले में मारे गए। गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा नेता और उनकी पत्नी की हत्या भी अनंतनाग में ही की
आतंककारियों से संबध रखने के आरोप में तीन दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर सरकार के 11 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था। इनमें हिजबुल मुजाहिद्दीन के संस्थापक सैयद सलाहुद्दीन के दो पुत्र शामिल हैं। इससे पहले भी सरकार अनेक कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी है, जिन पर आतंककारियों की मदद करने के आरोप हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों और उनके परिजन की मदद के लिए ट्रस्ट तक बनाए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जड़ें गहरी हैं और उन्हें उखाड़ फेंकने के लिए हर मोर्चे पर मुकाबला जरूरी है। दुर्भाग्य की बात है कि पिछले तीन दशक में आतंकवाद का सामना करने के लिए ठोस रणनीति बन ही नहीं पाई। मुठभेड़ में आतंककारियों का मुकाबला कर उन्हें मारने की रणनीति से आगे गंभीरता से काम हुआ ही नहीं। आतंककारियों की पहचान तो की गई, पर आकाओं की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया। पिछले चार दशकों में आतंकवाद की आग में हजारों परिवार झुलसे हैं।
दो दिन पहले एनआइए के छापों में इस्तेमाल की हुई गोलियों के खोखे, पथराव के दौरान बचाव के लिए उपयोग में आने वाले मास्क एवं आपत्तिजनक लेखन सामग्री जब्त की गई थी। जाहिर है राज्य में कुछ लोग अब भी आतंककारियों के मददगार बने हुए हैं। जरूरत इस गठजोड़ के खात्मे की है। सरकार ने इस बार आर-पार की लड़ाई का मानस बनाया है। भारत की कार्रवाई से आतंकवादी संगठन और उन्हें सहायता पहुंचाने वाले लोग बौखलाए हुए हैं। भाजपा नेता की हत्या उसी बौखलाहट का परिणाम माना जा सकता है।

Home / Prime / Opinion / आतंकियों के मददगारों पर अंकुश की जरूरत

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो