कार-मुक्त दिवसों पर नागरिकों और मोटरवाहन चालकों को अपने शहरों को बिना कारों के देखने और महसूस करने का अवसर मिलता है। इससे सार्वजनिक परिवहन, पैदल चलने, साइकिल चलाने और आवासों के आस-पास नौकरियां व अन्य सुविधाओं वाले समुदायों/शहरी क्षेत्रों का विकास बढ़ता है। गौरतलब है कि गुरुग्राम, दिल्ली, रोहतक, फरीदाबाद, अगरतला, पुणे, अहमदाबाद, करनाल, भोपाल, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, हैदराबाद और बेंगलूरु जैसे कई भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण और सड़कों पर भीड़भाड़ से निपटने के लिए कार-मुक्त दिवसों का प्रयोग किया गया है। लेकिन, अधिकतर प्रयास वर्ष में सिर्फ एक बार होते हैं। इसलिए, स्वास्थ्य, वायु गुणवत्ता और सड़कों पर भीड़भाड़ से जुड़ी इंसानी गतिविधियों पर इसके प्रभाव सीमित हैं। कार-मुक्त दिवसों को प्रभावशाली बनाने के लिए दो बातों पर ध्यान देना सर्वाधिक जरूरी है। पहला, व्यवहार परिवर्तन के लिए कार-मुक्त दिवस का नियमित आयोजन जरूरी है। उदाहरण के लिए, कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में पिछले 45 वर्षों से प्रत्येक रविवार को और प्रमुख छुट्टियों पर कार-मुक्त दिवस होता है। जनमत संग्रह के जरिए इस तरह का निर्णय लिया गया है। कार-मुक्त दिवस के लिए एक ही समय और स्थान पर नियमित कार्यक्रमों के आयोजन से नागरिकों के बीच इसकी स्वीकार्यता बढ़ती है और व्यवहार में बदलाव आता है। दूसरा, कार-मुक्त दिवसों को बड़े शहरी क्षेत्रों में लागू करना लाभप्रद है। इसे लागू करने से लोग आवागमन के वैकल्पिक उपायों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित होते हंै। इसके साथ ही वैकल्पिक आवागमन की पर्याप्त सुविधाएं विकसित करने की जरूरत होती है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन, पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए बुनियादी ढांचा शामिल है। समय के साथ, शहरों में कारों के संचालन को हतोत्साहित करने या यहां तक कि उन पर रोक लगाने के लिए सार्वजनिक परिवहन और पैदल-साइकिल बुनियादी ढांचे को स्थायी स्वरूप दिया जा सकता है। शहरी योजनाकार आजीविका, शिक्षा और सुविधाओं की उपलब्धता वाले छोटे शहरों की योजना बना सकते हैं, जिससे ऐसे विकल्प स्थायी हो जाएंगे।
ऐसे जागरूक और पर्यावरण हितैषी विकल्पों की दिशा में नागरिक तब प्रेरित होंगे, जब वे बार-बार कार-मुक्त सड़कों, बेहतर व तेज सार्वजनिक परिवहन के संपर्क में आएंगे और ऐसे शहरों के स्वास्थ्य लाभों को समझ पाएंगे। कार-मुक्त सड़कों के लिए दूरदर्शी नेतृत्व नागरिकों में जागरूकता ला सकता है और जनता के बीच मांग पैदा कर सकता है। इससे लोग नए सिरे से सोचेंगे और जनमत निर्माण में मदद मिलेगी। स्वच्छ हवा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए एकजुटता से प्रयास करने ही होंगे।