टूट सकता है सड़कों पर जाम और प्रदूषण का चक्रव्यूह
Published: Sep 22, 2023 09:44:01 pm
ऐसे जागरूक और पर्यावरण हितैषी विकल्पों की दिशा में नागरिक तब प्रेरित होंगे, जब वे बार-बार कार-मुक्त सड़कों, बेहतर व तेज सार्वजनिक परिवहन के संपर्क में आएंगे और ऐसे शहरों के स्वास्थ्य लाभों को समझ पाएंगे।


टूट सकता है सड़कों पर जाम और प्रदूषण का चक्रव्यूह
डॉ. हिमानी जैन सीनियर प्रोग्राम लीड, पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) से जुड़ी हैं तेज शहरीकरण के साथ, अगले दो दशकों में भारत का शहरी क्षेत्र और इसकी जनसंख्या दोगुनी होने की संभावना है। इसका मतलब है कि आवागमन के साधनों की मांग दो-तीन गुना बढ़ जाएगी। वाहनों की की बढ़ती संख्या अधिकांश शहरों में भीड़भाड़ और प्रदूषण का कारण बन चुकी है। आवागमन से जुड़ी मांग के प्रबंधन की सबसे प्रभावी रणनीतियों में छोटी दूरी के लिए पैदल चलने और साइकिल चलाने, जबकि लंबी दूरियों के लिए सार्वजनिक परिवहन को शामिल किया जाता है। लेकिन, यह कहना जितना आसान है, इसे जमीन पर उतारना उतना बहुत कठिन है। हालांकि, यह बदलाव उपयुक्त नीतियों, बेहतर सड़क निर्माण पर जोर देने और व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करके लाया जा सकता है। व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों में पर्यावरण के प्रति सजग जीवनशैली को प्रेरित करने के लिए पिछले साल भारत ने मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) शुरू किया था। यह अब जी-20 शिखर सम्मेलन की घोषणा का भी हिस्सा बन चुका है। सतत आवागमन के लिए इसका अर्थ है कि ऐसे वादे को पूरा करने वाले वित्तीय उपाय सुनिश्चित करना। इस दिशा में भारत सरकार ने फेम योजना और राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम के तहत 50,000 ई-बसों को सड़कों पर उतारने की योजना बनाई है। साथ में, स्मार्ट सिटी मिशन भी सड़क सुधार परियोजनाएं चला रहा है। हालांकि, नागरिकों को पर्यावरण अनुकूल परिवहन साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के सरकारी प्रयासों में कमी बनी हुई है। काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के 2020 के अध्ययन के अनुसार, 2006 से 2016 तक दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन दो गुना से अधिक, जबकि चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन लगभग तीन गुना बढ़ा है। कारें सड़कों पर बहुत ही ज्यादा जगह लेती हैं। साथ ही ज्यादा ईंधन खर्च करती हैं और धुंआ छोड़ती हैं। इलेक्ट्रिक कारें भी ट्रैफिक जाम को बढ़ाती हैं। इसीलिए, लंदन के प्राधिकरणों को ई-कारों पर रोक और टैक्स लगाना पड़ा है। यह अलग बात है कि यूरोप, अमरीका और चीन के शहर कारों को आसानी से प्रतिबंधित करने में सक्षम नहीं हैं। लेकिन, जन-जागरूकता बढ़ाने और व्यवहार परिवर्तन के लिए दुनिया भर के शहरी क्षेत्र के नेताओं और पर्यावरणविदों के बीच कार-मुक्त (फ्री) दिवसों का विचार काफी लोकप्रिय है।