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निवेशकों के लिए संभलने का समय

– सेंसेक्स में सोमवार को 750 अंकों के उछाल के मायने समझने की जरूरत है।- आर्थिक विशेषज्ञों का आकलन है कि सभी बड़े शेयर बाजार जरूरत से अधिक बढ़ गए हैं।

नई दिल्लीMar 02, 2021 / 06:55 am

विकास गुप्ता

Boom in oil gas companies, market share rise, Nifty cross 15,000 mark

Boom in oil gas companies, market share rise, Nifty cross 15,000 mark

भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स का असामान्य व्यवहार निवेशकों को सतर्क करने के लिए पर्याप्त माना जाना चाहिए। शुक्रवार को 1939 अंक गिरने वाले सेंसेक्स में सोमवार को 750 अंकों के उछाल के मायने समझने की जरूरत है। खासकर तब, जब दुनिया के शेयर बाजार भी भारी उठापटक के दौर से गुजर रहे हों। कोरोना महामारी के बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था को लगे झटकों से गाड़ी अभी पटरी पर नहीं आ पाई है। हर जगह सरकारी खजाने से आमजन को राहत देने का सिलसिला अब भी जारी है। इस बीच कच्चे तेल के दामों में उतार-चढ़ाव और मुद्रास्फीति की आशंका ने आर्थिक जगत को असमंजस में डाल दिया है।

पिछले शुक्रवार को सेंसेक्स में हुई गिरावट इतिहास की पांचवी सबसे बड़ी गिरावट थी। पिछले साल मार्च में भी तीन कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स का 9500 अंक नीचे फिसलना सबको याद है। तब कोरोना के डर से दुनियाभर के शेयर बाजार धराशायी हो गए थे। फिर ग्यारह महीनों में शेयर बाजार उछले, तो सबको आश्चर्य में डाल दिया। इस अवधि में कुछ शेयरों के दाम चार से पांच गुना तक बढ़ गए। इसका कारण बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी नहीं समझ पाए। आम निवेशकों की बात तो दूर है। शेयर बाजार में ऐसे खेल अक्सर होते रहते हैं और जब तक आम निवेशकों को इसकी जानकारी होती है, तब तक वे लुट चुके होते हैं।

आर्थिक विशेषज्ञों का आकलन है कि सभी बड़े शेयर बाजार जरूरत से अधिक बढ़ गए हैं। ऐसे में अनिश्चितता बने रहना शेयर बाजारों को फिर पिछले साल वाली स्थिति में ले जा सकता है। शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्था सेबी के साथ-साथ रिजर्व बैंक भी इस हालत से परिचित है। ऐसे में छोटे निवेशकों के लिए तो ये समय संभल कर चलने का है। आम निवेशकों को आर्थिक तंत्र की बारीकियों का अंदाजा नहीं होता है, इसलिए उनके सामने अनिश्चितता अधिक होती है। पिछले दो सप्ताह से भारत के कुछ राज्यों में कोरोना के मामले बढ़े हैं। नए स्ट्रेन के भी सामने आने की बात आ रही है। यानी कोरोना को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है। यही धुंधली तस्वीर शेयर बाजार के भविष्य को भी आशंकाओं के घेरे में लेती है। पिछले शुक्रवार को शेयर बाजार में लगभग छह लाख करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है।

लाभ और हानि, शेयर बाजार के स्थायी अंग हैं, लेकिन अनिश्चितता के माहौल में अतिरिक्त जोखिम उठाने से बचना जरूर चाहिए। अमरीकी बाजारों में लगातार बढ़ रहे बॉन्ड यील्ड और अमरीका-ईरान के बीच तनाव की खबरें चिंता बढ़ाने वाली हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि अगला एक महीना निवेशकों के लिए संभल कर रहने का है, साथ-साथ इतिहास से कुछ सीखने का भी।

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