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पर्यावरण संरक्षण में आम जन क्या योगदान दे सकता है

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Jun 07, 2021 / 06:21 pm

Gyan Chand Patni

पर्यावरण संरक्षण में आम जन क्या योगदान दे सकता है

पर्यावरण संरक्षण में आम जन क्या योगदान दे सकता है

जरूरी है आम जन का सहयोग
पर्यावरण संरक्षण हमारी संस्कृति का अंग है, परंतु मानव में अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की प्रवृत्ति ने पर्यावरण संकट की नई चुनौती को जन्म दिया है। कोविड-19 महामारी ने हमें साफ हवा की कीमत समझा दी है। पर्यावरण संरक्षण के निमित्त आमजन का सहयोग अनिवार्य हो गया है। आज मानव को हरित मानसिकता विकसित करने की आवश्यकता है। दैनिक कार्यों में प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग किया जाए, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। घरों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित किया जाना चाहिए। किसान जैविक खेती करें। कम से कम उर्वरक व कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए। प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास गमलों में छोटे-छोटे पौधे लगाएं। कम बिजली, कम पानी, कम गैस का प्रयोग कर कोई भी व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में महती भूमिका निभा सकता है। प्रदूषण रोकने के लिए जलाऊ लकड़ी का उपयोग कम करना जरूरी है, जिसके लिए विद्युत शवदाह गृहों का उपयोग करना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए कम दूरी तय करने के लिए साइकिल एवं अधिक दूरी तय करने के लिए सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करें। छोटे-छोटे प्रयास करके भी पर्यावरण को ठीक रखा जा सकता है।
-कनिष्क माथुर, जयपुर
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वर्ष भर जारी रहें प्रयास
पर्यावरण प्रदूषण भारत ही नहीं समूचे विश्व की समस्या है। कल कारखानों से निकलता काला जहरीला धुआं वायु को प्रदूषित तो कर ही रहा है, वहीं उद्योग से निकलने वाला गंदा पानी नदियों में मिलकर जल को जहरीला बना रहा है। आधुनिकता की अंधी दौड में वृक्षों का तेजी से कटाव हो रहा है, जिसके कारण बेमौसम बारिश तो कहीं अल्प, कहीं अति व अवर्षा की स्थिति निर्मित हो रही है। यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक रूप से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। आमजन पर्यावरण अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करे, अपने घरों के आस-पास पेड़ लगाए। वर्षा के जल को संरक्षित किया जाए। नदियों, तालाबों को प्रदूषित होने से बचाना जरूरी है। इस तरह के प्रयास वर्ष भर होने चाहिए।
-लक्ष्मण नायडू, रायपुर, छत्तीसगढ़
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मानसून में लगाए जाएं पौधे
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सबसे आवश्यक है संतुलन। फ्रीज, एसी व लाखों वाहन संचालित हो रहे हैं। इससे तेजी से पर्यावरण व प्रकृति बदल रही है, जिससे नई बीमारियां पैदा होती जा रही हैं। जितना नुकसान हम प्रकृति का कर रहे हैं उतनी भरपाई नहीं कर पा रहे। मानसून के आगमन के साथ अगर देश का हर नागरिक प्रति वर्ष एक पौधा लगाने व उसके पोषण का निश्चय करे तो निश्चित ही वातावरण शुद्ध होने लगेगा। इसके अलावा भूमिगत जल स्तर का ध्यान भी रखना होगा। वाटर हार्वेस्टिंग एक महत्वपूर्ण तकनीक है। जल स्तर बनाये रखने के लिए नदियों व छोटे नालों का ख्याल रखना जरूरी है। जिस तरह हम प्रकृति का दोहन कर रहे हंै, पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसे सुधारने पर ध्यान देना ही होगा।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम जरूरी
पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम में आमजन की सहभागिता तब ही हो सकती है, जब आमजन में पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता विकसित की जाए। पर्यावरण की सुरक्षा से ही जीवन की सुरक्षा हो सकती है। यदि यह जागरूकता सभी मनुष्य जाति में विकसित हो जाए, तो पर्यावरण सुरक्षा में सभी आमजन का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए छोटे-छोटे कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर आयोजित किए जाने चाहिए जैसे वृक्षारोपण अभियान के तहत प्रत्येक परिवार को एक वृक्ष का संरक्षण एवं पौधरोपण के लिए प्रतिबद्धता आवश्यक है। साथ ही स्वच्छता अभियान में भी आमजन की सहभागिता से पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है। वर्तमान में किए गए इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही भविष्य में भावी पीढ़ी पर्यावरण से लाभान्वित हो पाएगी और आमजन की सहभागिता नहीं मिली तो यह वैश्विक स्तर पर आयोजित किए जाने वाले पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम मात्र औपचारिकता ही रह जाएगी
-डॉ. सुनीता शर्मा, जयपुर
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पेड़ हमारी पूंजी, इनको बचाइए
प्रदूषण के खिलाफ बदलाव की लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब समाज का समर्थन मिले, सरकारों का व्यवहार पर्यावरण के प्रति विनम्र हो। साथ ही पर्यावरण राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा माना जाए और कहा जाए। पेड़ हमारी पूंजी हैं और तरक्की के नाम इनकी लूटपाट करने वालों के खिलाफ हर देशभक्त को खड़ा होना पड़ेगा। पर्यावरण संरक्षण सिर्फ एक भावनात्मक बेचैनी नहीं है। पर्यावरण के मुद्दे पर चुप्पी अस्वीकार्य होगी। पेड़, पहाड़, नदी-तालाबों, जीव-जंतुओं की मौत पर भी कुछ बूंदें आंखों से निकालते हुए पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर होना होगा। घरों से निकलने वाले कचरे को सही स्थान पर पहुंचाए। पेट्रोल-डीजल चालित वाहन के बदले ई-वाहन का उपयोग करें। ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग किया जाए। अंधाधुंध पेड़-पौधों की कटाई का विरोध करें। पर्यावरण के दुश्मन पॉलीथिन या प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।
-अभिनन्दन भाई पटेल, लखनऊ
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पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी
प्रकृति और पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखना आमजन की भी प्रथम जिम्मेदारी है। पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे पहले हमें पानी को प्रदूषित होने से बचाना होगा। कारखानों, सीवरेज और घरों की नालियों से निकले पानी को नदियों और समुद्र में जाने से रोकना होगा। वनों को नष्ट होने से बचाना होगा और लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित करना होगा। प्लास्टिक की सामग्री और थैलियों के उपयोग को रोकना होगा। अपने घरों के आसपास के गंदे पानी की निकासी और घरों से निकले कचरे को खुले में न डालें। घरों से निकले जैव कचरे से खाद बना सकते हैं। आवश्यकता के अनुसार ही बिजली का उपयोग करें। खुले में शौच न करें, सुलभ शौचालय का उपयोग करें। वायु तथा ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए अपने वाहनों की निरंतर जांच कराएं तथा कम दूरी वाले स्थानों पर जाने के लिए साइकिल का उपयोग करें। अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को संरक्षित करने में मददगार हो सकते हैं।
-नीलिमा जैन, उदयपुर
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जरूरी है जागरूकता
अमीर हो या गरीब प्रकृति और पर्यावरण का सभी के लिए समान महत्व है। पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे जरूरी बात है जागरूक होना। हमें अपने परिवार और आस-पास के लोगों को जागरूक करना होगा और पर्यावरण के महत्व को समझना होगा। आमजन को संसाधनों का सीमित उपभोग करना चाहिए और अंधाधुंध उपयोग पर रोक लगानी चाहिए। आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण मिले, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। नए तालाब और बावड़ी का निर्माण कराना चाहिए, नदी नालों को स्वच्छ रखना चाहिए।
-सुनीता सिंह,, जयपुर
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मोटर वाहनों का कम प्रयोग करें
अगर बात पर्यावरण संरक्षण की हो, तो इसमें आमजन का प्रत्यक्ष रूप से महत्व है। जितना मोटर वाहनों का कम प्रयोग करें, जिससे पेट्रोलियम की खपत भी ना हो और ना ही पर्यावरण प्रदूषित हो। सीएनजी या विद्युत चालित वाहनों का प्रयोग ज्यादा किया जाए। अपने घर के आस-पास या नदियों में किसी प्रकार का कचरा ना डालकर किसी कचरा पात्र में डालें।
-महेंद्र पांचाल, अकलेरा झालावाड़
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सभी को लगाने चाहिए पौधे
लोगों में जागरूकता लाकर हम पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्हें पेड़ों की महत्ता को समझाएं, ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए हर नागरिक को घर के आंगन में अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए तथा उनकी सार संभाल करनी चाहिए। प्रशासन को जन्मदिन, वर्षगांठ तथा संतान के जन्म पर सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाने की परंपरा शुरू करनी चाहिए। गांव व शहर की मुख्य सड़कों के दोनों ओर पेड़ लगा कर सुंदर व स्वच्छ बनाना चाहिए। पत्रिका के द्वारा हर वर्ष चलाए जाने वाले अभियान से लोगों में पौधरोपण की बहुत जागरूकता आई है।
-भागचंद मेहर, झालावाड़
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पानी और बिजली बचाएं
अपनी छोटी-छोटी पहल से हम सब मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। प्रयास करें कि हमारे दैनिक क्रियाकलापों से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन कम-से-कम हो। पानी की बचत के तरीके अपनाते हुए भूमिगत पानी का उपयोग भी केवल आवश्यकतानुसार ही करें। बिजली बचाकर ऊर्जा संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दें।
आसिफ कादरी, भानपुरा, मंदसौर, मप्र
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जन्म दिन पर लगाएं पौधा
सरकारें केवल योजनाएं ला सकती हैं, लेकिन पर्यावरण को बचाने के लिए आमजन व स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आना ही होगा। यदि अपने प्रियजनों के जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ या पुण्यतिथि पर केवल एक पौधा लगाकर उसके पालन पोषण का संकल्प ले लिया जाए तो काफी हद तक पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
-सचिन सनाढ्य, बारां
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वृक्षारोपण सबकी जिम्मेदारी
पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन का वृक्षारोपण करना बहुत जरूरी है। हरे पेड़ों को ना तो स्वयं कांटे, और ना ही किसी को काटने दें। प्लास्टिक की चीजों का कम से कम उपयोग करना चाहिए। खाना पकाने के लिए उन्नत और धुंआ रहित चूल्हे का उपयोग करना चाहिए। सभी नागरिकों को पेयजल स्रोतों के आस-पास साफ-सफाई रखनी चाहिए और वर्षा जल का संचय करना चाहिए। धूम्रपान से सभी लोगों को बचना चाहिए। आमजन को घर का कचरा निर्धारित स्थान पर ही डालना चाहिए।
-शिवओम पाराशर, अहमदाबाद, गुजरात
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नियमित हो देखभाल”
पर्यावरण को संरक्षित एवं सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही पौधों की देखभाल नियमित रूप से करनी चाहिए क्योंकि शुद्ध पानी, पेड़ और शुद्ध हवा ही अनमोल दवा है।
– नितिन गुप्ता, करैरा, शिवपुरी
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पौधारोपण की खानापूर्ति न करें
पर्यावरण संरक्षण में जितनी भूमिका आमजन की है, उतनी शायद सरकारों और विभिन्न संगठनों के साथ संस्थाओं की नहीं हो सकती है। सरकारें और संस्थाएं आमजन को जागरूक करने के मुहिम चला सकती हैं, लेकिन धरातल पर उसका क्रियान्वयन आमजन के द्वारा ही संभव है। हर व्यक्ति जीवन में एक पौधा जरूर लगाए और उसकी अच्छे से परवरिश करे, तभी पर्यावरण संरक्षण को गति मिलेग। पौधारोपण की खानापूर्ति न करें।
-रमेश कुमार लखारा, बोरुंदा, जोधपुर
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कर्तव्य है पौधारोपण
पर्यावरण संरक्षण में आमजन बहुत कुछ योगदान दे सकता है। प्रत्येक व्यक्ति पौधरोपण को अपना कर्तव्य समझे। हर व्यक्ति सोच कि कैसे पानी के दुरुपयोग को कम किया जा सकता है। दैनिक जीवन में पॉलिथीन की थैली की जगह कपड़े का थैला इस्तेमाल करना चाहिए। जब भी किसी को तोहफा दें, तो पौधा या बीज का पैकेट दें, कृत्रिम फूल नहीं। प्लास्टिक के बर्तनों की बजाय पत्तों से तैयार पत्तल का उपयोग करना चाहिए। साइकिल का भी प्रयोग करें। फल और सब्जियों के छिलके या चाय पत्ती को फेंकने की बजाय बगीचे में खाद के तौर पर इस्तेमाल करें।
-नीलू शर्मा, जयपुर
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उपहार में दें पौधे
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए आमजन को आगे आना ही होगा। पौधे लगाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा करनी होगी। पानी को बचाने, हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाने के साथ ही साथ कचरा निष्पादन की प्रक्रिया पर भी ध्यान देना होगा। पॉलिथीन की जगह कपड़े के थैले का उपयोग करना है। उपहार के रूप में भी पौधों के आदान-प्रदान का चलन बढ़ना चाहिए।
-रेनू गुप्ता, गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर
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वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान देने का समय
आमजन के मन में पर्यावरण के प्रति लगाव और प्रेम को जागृत कर पर्यावरण के संरक्षण के सपनों को साकार कर सकते हैं। अनावश्यक विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं करें। आवश्यकतानुसार पानी का उपयोग करें। पॉलिथीन की थैलियों का उपयोग बंद न करें। दो-पहिया और चार-पहिया मोटर वाहन का प्रयोग कम से कम करें। लोग कचरे का निष्पादन उचित तरीकों के साथ निर्धारित स्थानों पर कर साफ सफाई को बरकरार रखने मे सहायक बन सकते हैं। वर्षा-जल संरक्षण पर ध्यान दिया जाए।
-नरेश कानूनगो, गुंजुर, बेंगलूरू, कर्नाटक
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टिकाऊ विकास पर ध्यान दें
पर्यावरण संरक्षण के लिए हम टिकाऊ विकास पर बल दे। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का कड़ाई से पालना हो। आमजन स्वयं आगे आकर इनके स्थान पर कपड़े या पेपर बैग प्रयोग में लाएं। हम अधिक से अधिक पौधे लगाएं एवं कचरे का उचित एवं उपयुक्त स्थान पर निस्तारण करें। पर्यावरण हितैषी जीवनशैली अपनाएं।
-जयपाल सिंह, अजीतगढ, सीकर
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वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान दिया जाए
जल जीवन का आधार है। ग्रीष्म ऋतु जा रही रही है, मानसून आने वाला है। अलवर शहर में केवल भूजल पानी ही उपलब्ध ह। गर्मियां आते ही पूरे शहर में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। शहर की आबादी दिनों दिन बढ़ रही है और जल का स्तर घट रहा है। हम केवल पानी का उपभोग ही जानते हैं, कभी पानी संचय के बारे में नहीं सोचते है। बारिश का पानी सड़कों पर बह कर चला जाता है। हमने कभी घर की छत पर बारिश के पानी के संचय के बारे में नहीं सोचा। छत के पानी को संचय की विधि गूगल / यूट्यूब पर मिल जाएगी। इसके बारे में विशेषज्ञों से भी बात की जा सकती है।
-अरुण मेहता, अलवर
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युवा पीढ़ी को समझाएं महत्व
मनुष्य तथा पर्यावरण दोनों परस्पर एक दूसरे के इतने संबंधित है कि उन्हें अलग करना कठिन है। यही कारण है कि पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता, सजगता तथा अपने दायित्वों का पूर्ण ईमानदारी से हर इंसान को निर्वाहन करना होगा। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए आज हम सबको दृढ़ संकल्प लेना होगा तथा पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाने की अपनी जिम्मेदारी भी सुनिश्चित करनी होगी। युवा पीढ़ी को भी पर्यावरण संरक्षण तथा इसके महत्व से परिचित करवाना होगा। पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को आदत में बदलना होगा।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए पौधों की देखभाल भी जरूरी
आम लोग यदि ठान लें कि हमें पेड़ लगाने और बचाने है, तो पूरा देश हरा भरा बन सकता है। आम आदमी जब अपनी जमीन पर कोई पौधा लगाता है, तो उसका ध्यान भी रखता है। इसी तरह आम जन यदि सार्वजनिक स्थल के पौधों की देखभाल करने लगें, तो धरती का चेहरा ही बदल जाएगा। हम अपने घर की तरह ही सड़क पर लगे पौधे की भी देखभाल करें।
– विवेक कुमार मिश्र, कोटा
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