बड़ा सत्य है जीवन कहीं ठहरता नही है और सब कुछ कभी खत्म नही होता। इस समय लोग अपने पड़ोसी से भी बात करते हुए बच रहे हैं। इस समय सब लोगों को छोटे-छोटे काम करने वाले लोगों की अहमियत समझ में आ गई है, जिनके अभाव में उनके काम अटके पड़े है। यद्यपि कोरोना की वजह से लोगों के रोजगार-धंधे छिन गए, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है, पर पर्यावरण सुधरा है। लोग पुराने दोस्तों, रिश्तेदारों से फोन पर बात कर रहे हैं। कोरोनाकाल में पारिवारिक रिश्तों को मजबूती मिल रही है।
-अशोक कुमार शर्मा जयपुर
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शादियों में लोग दिखावा ज्यादा करते थे। अब आवश्यकता से ज्यादा खरीद पर रोक लगी है। साथ ही विभिन्न समारोहों में भोजन की बर्बादी रुकी है। फिजूलखर्चीली पर रोक लगी है। कोरोना वायरस ने लोगो की सोच को बदला है।
-पृथ्वीराज मीना, सवाईमाधोपुर
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कोरोना वायरस ने जहां यह सिद्ध कर दिया कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है, वहीं इस वैश्विक बीमारी ने मानव समाज को घरों में कैद रहने के लिए बाध्य किया है। इस संकट में पाश्चात्य संस्कृति से परहेज करने का संदेश भी छिपा है। लोग समाजिक दूरी बनाने को मजबूरी हुए हैं। कोरोना ने लोगों को अहसास कराया है कि प्रकृति व ईश्वरीय शक्ति ही सर्वोच्च।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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कोरोना वायरस के कारण समाज में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। एक तरफ जहां व्यक्ति योग, ध्यान, अध्यात्म एवं भक्ति से जुड़े हैं वहीं दूसरी तरफ आपसी तालमेल, भाईचारा और सहयोग की भावना विकसित हुई। लोगों को भागदौड़ भरी जिंदगी से निजात मिली है।
-भगवती पारीक,चूरु
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कोरोना वायरस के कारण समाज में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के परिवर्तन आए हंै। समाज अपने स्वास्थ्य के प्रति पहले से ज्यादा जागरूक हो चुका है। आयुर्वेद औषधियों के प्रति लोगों का विश्वास पहले से ज्यादा दृढ़ हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ आर्थिक नुकसान होने से लोग मानसिक तनाव भी झेल रहे है।
-कुशल सिंह राठौड़,जोधपुर
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कोरोना के चलते लोग अपने खास लोगों के सुख-दु:ख में भी शामिल नहीं हो पा रहे। अधिकांश लोग बधाई, शुभकामनाएं या श्रद्धांजलि संदेश व्हाट्सऐप के जरिए भेज देते हैं। शिक्षा मोबाइल पर दी जा रही है। मीटिंग भी मोबाइल के माध्यम से हो रही हैं। लोग किसी के यहां आ जा नहीं रहे। खेलना, घूमना, पार्टी करना, यात्रा करना आदि काम बहुत ही सीमित हो गए हैं। मरीज को अस्पताल ले जाने में भी लोग हिचक रहे हैं।
-राजेश सराफ, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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कोरोनाकाल में लोगों ने अपने परिवारजनों का सम्मान करना सीख लिया। साथ ही आयुर्वेद के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा। कोरोना के आने के बाद लोग तुलसी, गिलौय, अश्वगंधा जैसे उत्पादों पर भरोसे करने लगे हैं। लोगों को यह बात समझ में आ गई कि जीने के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत नहीं होती। साफ -सफाई का ध्यान भी ज्यादा रखने लगे हैं। यह बात समझने की जरूरत है कि अगर हम प्रकृति से छेड़छाड़ करेंगे ,तो इसके दुष्परिणाम भयावह हो सकते हैं। इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सावधानी से करें। इसे आने वाली पीढी को सौंपना है।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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कोरोना वायरस से हर कोई खौफ में है, लेकिन इसका सकारात्मक असर भी हुआ है। लोगों ने अपने परिवार के साथ ज्यादा समय व्यतीत किया है। इससे परिवार में सहयोग व एक दूसरे के प्रति प्रेम का भाव बढ़ा है। परिवार की अहमियत समझ में आई है। व्यस्तता के कारण जिंदगी में अक्सर तनाव ग्रस्त रहने वाले लोग परिवार के साथ रहकर सुखद अनुभव महसूस कर रहे हैं।
-मुकेश राजपुरोहित, जयपुर