……………. कौशल विकास कार्यक्रम ठीक से चलाए जाएं रोजगार व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता है। इसके लिए सरकार कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही हैं लेकिन ये पुराने ढर्रे पर ही चल रहो हैं। समय के अनुसार बदलाव जरूरी हैं। -शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर ………… व्यवसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देना देश की शिक्षा पद्धति में सरकार को परिवर्तन करना चाहिए। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया जाए तो वे अपनी रुचि के व्यवसाय में निपुण हो सकते हैं। -लहर सनाढ्य उदयपुर
…………… युवाओं को देश की प्रगति से जोड़ें रोजगार हर युवा से जुड़ा विषय है। सभी युवक-युवती बेहतर से बेहतर रोजगार की तलाश में रहते हैं। वर्तमान में रोजगार पाने के अनेक क्षेत्र हैं। सरकारी सेवाओं से लेकर परंपरागत कार्य, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, निजी व्यवसाय, ऑनलाइन व्यापार, छोटे-बड़े उद्योग आदि अनेक क्षेत्र हैं। हमारे देश में दुनिया के सबसे अधिक युवा है। इसे बोझ के रूप में न लेकर सुनहरे अवसर के रूप में लेना चाहिए। युवाओं को प्रशिक्षित कर देश की प्रगति से जोडऩा चाहिए। डॉ. राजेन्द्र कुमावत, जयपुर
………….. सेवानिवृत्ति की आयु कम करें वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि के कारण रोजगार एक गंभीर मसला बना हुआ है। मुझे लगता है कि रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार को सरकारी पदों पर सेवानिवृत्ति की आयु कम करनी चाहिए, नई फैक्ट्रियों का निर्माण और पुरानी फैक्टियों में विकास कार्य किया जाना चाहिए, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। -अनिल प्रजापति, भोपाल ,मध्य प्रदेश
………….. स्वदेशी उद्योगों को मिले बढ़ावा दिन प्रतिदिन परिस्थितियां विकट होती जा रही हंै। सरकार को नए रोजगारों के सृजन पर ध्यान देना चाहिए। एक ही दिशा में रोजग़ार की आस लगाए बैठें युवाओं के पास रोजग़ार प्राप्ति के दूसरे अवसर भी हो।रोजग़ार के अभाव में आर्थिक दृष्टि से समस्या ग्रसित लोग मानसिक अवसाद का शिकार हो गलत कदम उठाने पर मज़बूर हो रहे है।सरकार को इन परिस्थितियों में स्वेदशी उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।जिससे रोजगार के नवीन अवसर खुल सके तथा स्वेदशी वस्तुओं के उत्पादन को बल मिले।तभी बेरोजग़ारी की समस्या को कुछ हद तक हम कम कर सकते है -डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
……….. प्रशिक्षण जरूरी युवाओं को उनके कौशल के अनुसार उचित प्रशिक्षण दिये जाने के प्रबंध हों ताकि उन्हें उनकी रुचि अनुसार नौकरियों के लिए तैयार किया जा सके। लघु और ग्रामीण क्षेत्रों के उद्योगों को, वित्तीय और तकनीकी प्रोत्साहन देकर भी विभिन्न तरह के रोजगार बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं। -नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.