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आपकी बात, सेंट्रल विस्टा परियोजना पर लगातार सवाल क्यों उठाए जा रहे हैंं?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

May 11, 2021 / 05:45 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात, सेंट्रल विस्टा परियोजना पर लगातार सवाल क्यों उठाए जा रहे हैंं?

आपकी बात, सेंट्रल विस्टा परियोजना पर लगातार सवाल क्यों उठाए जा रहे हैंं?

चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने का समय
किसी भी कार्य को करने का एक उचित समय होता है, जिससे उसकी उपयोगिता व सार्थकता सिद्ध होती है। इसके साथ ही साथ समय और परिस्थितियों के अनुसार उद्देश्य, कार्य व कार्य की वरीयता भी परिवर्तित होती रहती है। लोकतंत्र में जनता को सर्वोपरि माना जाता है। जनता कोरोना महामारी के चलते संकट में है। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, जीवन रक्षक दवाइयां, वैक्सीनेशन की कमी से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अस्पताल में मरीजों की लाइन है। जब देश में सांसों की कमी से आम जन मरने लगा हो, तो चिकित्सा सेवा में सुधार को ही वरीयता दी जानी चाहिए। इस संकट काल में 20000 करोड़ रुपए की सेंटर विस्टा परियोजना को प्राथमिकता दी जाएगी, तो विरोध तो होगा ही।
-रमेश कुमार सारण, जोधपुर
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गलत नहीं है विरोध
सेंट्रल विस्टा परियोजना पर लगातार सवाल उठना लाजमी है, क्योंकि इस समय सबसे जरूरी है कोरोना से जंग जीतना। कोरोना से लोगों को बचाने के लिए हर राज्य की सरकारें जनता से घर पर रहने की अपील कर रही हैं। इसके बावजूद केन्द्र सरकार गरीब मजदूरों की जान जोखिम में डालकर संसद भवन के निर्माण कार्य को जारी रखना चाहती है, जो कि सर्वथा अनुचित कदम है। मजदूरों के आवागमन में संक्रमण का खतरा बना रहता है। केंद्र सरकार नाम कमाने के चक्कर में मजदूरों के जीवन को खतरे में डालकर कार्य को जारी रखना चाहती है। विपक्ष और जिम्मेदार नागरिक इस परियोजना का विरोध कर रहे हैंं।
-प्रकाश चन्द्र राव, भीलवाड़ा
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टाट के कपड़े पर रेशम का पैबंद
देश कोरोना महामारी की दूसरी भयानक लहर से जूझ रहा है, उद्योग- धंधे सब चौपट हो गए हैं, लोगों को रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं, साधनों के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में सेन्ट्रल विस्टा परियोजना पर पानी की तरह पैसा बहाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। सरकार को अपनी सुख सुविधाओं की वृद्धि की चिंता न करके जनता की जान बचाने की कोशिश करनी चाहिए। नए संसद भवन और आवासीय परिसर की अभी कोई आवश्यकता नहीं है। राजसी ठाठ-बाट और दिखावे की प्रवृत्ति को छोड़कर इस समय सरकार को जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। आर्थिक मंदी से बुरी तरह कराह रहे देश में इस तरह के काम टाट के कपड़े पर रेशम के पैबन्द ही माने जाएंगे, जो शोभा नहीं देते।
-सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा, कोटा
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श्रमिकों की जान को जोखिम में न डालें
वर्तमान हालात में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सवाल उठना स्वाभाविक है। विरोध में उठी आवाज को दबाकर सच को नहीं छुपाया जा सकता। प्रोजेक्ट पर पहले सवाल इसलिए उठे कि इतने सारे पेड़ों को कटवाना पारिस्थितिक तंत्र के लिए गलत है, लेकिन अब तो निर्माण की स्थिति ही नहीं है। कोविड की दूसरी लहर खतरनाक है। दिल्ली भी इससे बुरी तरह से प्रभावित है। ऐसे में निर्माण कार्य करना, वहां के श्रमिकों की जान को जोखिम में डालना है। लोग ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में नया संसद भवन बनाना कैसे उचित है?
-कुमकुम सुथार, रायसिंहनगर, श्रीगंगानगर
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श्रमिकों को मिलेगा रोजगार
सेन्ट्रल विस्टा परियोजना दिल्ली का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट की घोषणा 2019 सितम्बर में की थी, जिसके तहत एक नया विशाल संसद भवन, एक केन्द्रीय सचिवालय और कईं इमारतों का निर्माण होना है। माना देश एक कठिन दौर में है, लेकिन यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है। श्रमिक कोविड नियमों का पालन करते हुए अगर सावधानीपूर्वक कार्य करें, तो बहुत से गरीब परिवार को रोजगार मिल जाएगा। इसलिए इस परियोजना का विरोध उचित नहीं है।
-नीलिमा जैन, उदयपुर
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जिंदगी जरूरी या इमारतें ?
सेंट्रल विस्टा परियोजना लगातार विवादों में फंसता दिख रही हैं। दिल्ली में लॉकडाउन व कोरोना के लगातार मामले बढऩे के कारण सिर्फ जरूरी सेवाओं को ही मंजूरी दी गई है, जिसके कारण हर कोई अपने घर में कैद हैं। ऐसे मुश्किल समय में इस परियोजना पर काम कैसे जारी रखा जा सकता है? बेहतर तो यह है कि नई इमारत बनाने की बजाय सरकार लोगों की जिंदगी बचाए। इस समय मानव के जीवन की रक्षा करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस परियोजना का बजट आवश्यक स्वास्थ्य संसाधनों में लगाना चाहिए। इमारतें तो फिर बना सकते हैं, लेकिन किसी को जीवन वापस नहीं दिया जा सकता।
-बद्रीनारायण सुथार, भगवानगढ़, श्री गंगानगर।
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सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध जायज है। कोरोना के कारण देश के हालात खराब हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और दवाइयों की कमी है। लोग मर रहे हंै। ऐसे में करोड़ो रुपए खर्च करके इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना ठीक नहीं है। सरकार इस प्रोजेक्ट को रोककर जनता को संभाले।
-करण सोलंकी, पाली
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प्राथमिकता का रहे ध्यान
विपक्षी दलों ने इस महामारी के दौरान सेंट्रल विस्टा परियोजना पर पैसा खर्च करने पर सवाल उठाया है। एक तबके का मानना है कि इस महामारी के दौरान स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले धन के अपव्यय को रोका जाए। कई इतिहासकारों ने भी इस परियोजना की आलोचना की है। आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में प्राथमिकता को ध्यान में रखकर ही कोई कार्य करना चाहिए ।
-अनिल मेहता , चेन्नई , तमिलनाडु
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महामारी पर नियंत्रण को मिले प्राथमिकता
सेंट्रल विस्टा परियोजना पर सवाल उठाने का प्रमुख कारण वर्तमान समय में चल रही कोरोना महामारी है। सरकार की प्राथमिकता अभी महामारी पर नियंत्रण और जनता की सुरक्षा निश्चित करना होना चाहिए।
-कपिल जोशी, देवास, मध्यप्रदेश।
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मुश्किल में जनता
देश भयानक आपदा का सामना कर रहा है। इसके सामने सारे सरकारी इंतजामात घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च करने की बजाय केंद्र सरकार का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करना स्वीकार्य नहीं है। इसलिए इस प्रोजेक्ट पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाना लाजमी है, क्योंकि सरकार की पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य होना ही चाहिए।
– प्रवीण सैन, जोधपुर
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जिंदगी बचाने को मिले प्राथमिकता
अस्पतालों में बेड नहीं हंै। ऑक्सीजन की किल्लत है। देश में चिकित्सा आपातकाल जैसी स्थिति हो तो सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोक देने की मांग जायज है। सरकार का प्रथम दायित्व लोगों की जिंदगी बचाना होना चाहिए।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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बंद की जाए परियोजना
सेंट्रल विस्टा परियोजना पर लगातार सवाल उठ रहे हैं और सवाल उठना भी वाजिब है। देश में कोरोना महामारी फैली हुई है। ऑक्सीजन, वैक्सीन, वेंटिलेटर, बेड और दवाइयों की कमी बनी हुई है। इन विकट हालात में सरकार को ऐसी परियोजनाओं को बंद करके महामारी की रोकथाम पर ध्यान देना चाहिए। इस परियोजना को तत्काल बंद करके स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च बढ़ाना चाहिए।
-राधेश्याम गुर्जर, जमवारामगढ़, जयपुर
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चरमरा गया चिकित्सा का ढांचा
इन दिनों सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध जोरों पर है। देश का चिकित्सा ढांचा चरमरा गया है। आपातकाल जैसा माहौल है। ऐसी हालत में इस परियोजना का कोई मतलब नहीं है। वैसे भी यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल नहीं है, क्योंकि इसके तहत हजारों पेड़ो को काटा जाना है। इसके निर्माण से दिल्ली के प्रदूषण में और अधिक बढ़ोतरी होगी। इस समय देश को इस महामारी से मुक्त करवाना ही प्राथमिकता होनी चाहिए।
– कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर
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आपदा काल में जरूरी नहीं यह परियोजना
परियोजना के समय पर सवाल उठाया जाना वाजिब है। पूरा विश्व इस समय एक वायरस की वजह से बड़ी आपदा से गुजर रहा है। इस समय चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करना आवश्यक है। इस परियोजना में जो भी बन रहा है, वह पहले से ही है। इसलिए इसे द्वितीय प्राथमिकता पर डाला जा सकता है। पहली प्राथमिकता इस समय कोरोना से जंग है।
-सुनील कुमार गोदिका, जयपुर
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सवाल तो उठेंगे ही
कोरोना से लडऩे के प्रयास अभी भारतीय सरकार की प्राथमिकता होने चाहिए, न कि सेंट्रल विस्टा परियोजना। अभी नागरिकों को वैक्सीन लगवाना अति आवश्यक है और देश की आर्थिक स्थिति भी अभी कमजोर है। हमें दूसरे देशों से मदद लेनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की प्राथमिकता सेंट्रल विस्टा है, तो यह शर्मनाक ही माना जाएगा। यही कारण है कि लगातार इस परियोजना पर सवाल उठ रहे हैं।
-नंदिता मिश्रा, भोपाल
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स्थगित की जाए यह परियोजना
भारत में तो कोरोना की दूसरी लहर से जीवन बचाना कठिन हो रहा है। देश मे हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे मुश्किल समय में इस परियोजना के काम को आवश्यक सेवाओं में गिना जा रहा है, जिसे शर्मनाक ही कहा जाएगा। लोग मर रहे हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं मिल रही। दवाइयों और टीकों की कमी है। विदेश से सहायता लेनी पड़ रही है। फिर इस परियोजना के लिए इतनी जल्दी क्यों है? बेहतर तो यह है कि इस परियोजना को फिलहाल स्थगित कर दिया जाए और देश में चिकित्सा का नेटवर्क मजबूत बनाया जाए।
-रमेश कुमार लखारा, बोरुंदा जोधपुर
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सेंट्रल विस्टा परियोजना पर बाद में भी काम हो सकता है
देश अपूर्व मानवीय संकट का सामना कर रहा है। ऐसे समय में सरकार को इस संकट से उबरने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। व्यर्थ की चीजों पर खर्च न कर हमें इस संकट से उबरने के लिए पैसा खर्च करना चाहिए। विस्टा परियोजना कुछ समय बाद शुरू की जा सकती है।
– सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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जनविरोधी फैसला
देश में कोरोना के कारण कोहराम मचा हुआ है। लोग बिना इलाज के मर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। जब संसद भवन अच्छी हालत में है तो इसकी क्या जरूरत? वर्तमान परिस्थिति में यह कैसी सनक है? यह कैसा जनविरोधी फैसला है?
-सुशील भटनागर, उदयपुर

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