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क्यों जरूरी है पैकेट पर भी सरल और स्पष्ट लेबल

बिस्किट युवा पीढ़ी के पारंपरिक भोजन तक की जगह ले रहे हैं। इसलिए उनकी पोषण सामग्री और विज्ञापन के दावों की जांच आवश्यक है। इस बारे में गंभीरता जरूरी है।

Feb 08, 2024 / 06:51 pm

विकास माथुर

क्यों जरूरी है पैकेट पर भी सरल और स्पष्ट लेबल

क्यों जरूरी है पैकेट पर भी सरल और स्पष्ट लेबल

– प्रदीप सिंह मेहता
महासचिव, कट्स इंटरनेशनल

आजकल बिस्किट बहुत से लोगों के अल्पाहार का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। चूंकि बिस्किट युवा पीढ़ी के पारंपरिक भोजन की जगह तक ले रहे हैं, इसलिए उनकी पोषण सामग्री और विज्ञापन सटीकता की जांच महत्त्वपूर्ण हो जाती है। यह जांच व्यक्तिगत स्वास्थ्य और भावी पीढिय़ों की भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण है। बाजार के लिहाज से, भारतीय बिस्किट बाजार 4.13त्न वार्षिक वृद्धि दर से बढऩे का अनुमान है, जिसके 2029 तक 4.078 बिलियन डॉलर के मूल्य तक पहुंचने का अनुमान हैं। प्रौद्योगिकी में नवाचार और स्वस्थ विकल्पों की बढ़ती मांग जैसे कारक बिस्किट बाजार की वृद्धि में योगदान का कारण हैं। स्वाद, पैकेजिंग और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक विकल्प का दावा उपभोक्ताओं को आकर्षित करता हैं। भारत में शहरीकरण ने इस बाजार को आगे बढ़ाया है। धनी व्यक्ति बिस्किट जैसे सुविधाजनक भोजन विकल्पों के लिए अधिक धन खर्च कर रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय संगठन के पोषक तत्व प्रोफाइल मॉडल के अनुरूप लोकप्रिय बिस्किट ब्रांडों के तत्वों का विश्लेषण करने से चिंताजनक परिणाम सामने आए हैं। आमतौर पर सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद माने जाने वाले बिस्किट ब्रांडों में से कोई भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय मानकों को पूरा नहीं करता है।
ये निष्कर्ष संभावित दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों को उजागर करते हैं। ये दोष विभिन्न प्रकार के बिस्किट ब्रांडों में व्यापक रूप से व्याप्त हैं। लगभग सभी जांचे गए बिस्किट ब्रांडों में अनुशंसित स्तर से अधिक चीनी, सोडियम और वसा सामग्री दिखाई देती है। ऐसी सामग्री का लगातार सेवन मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा और दंत समस्याओं सहित जीवनशैली से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अत्यधिक जोखिम पैदा करता है।
केरल स्थिति नेशनल रिसोर्स सेंटर फॉर एनसीडी के कार्यकारी निदेशक जॉनसन जे. एडयारनमुला का मानना है कि कि बिस्किट आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए चमत्कार नहीं करेगा। कभी-कभी और कम मात्रा में इनका सेवन किया जाता है, तो ये आमतौर पर किसी के स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। माता-पिता के लिए यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि बिस्किट कभी भी उचित भोजन की जगह नहीं ले सकते हैं और पोषण के मामले में उतने फायदेमंद नहीं हैं, जितने दावे किए जाते हैं। विशेष रूप से भारत में बढ़ते गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के संदर्भ में, खान-पान को लेकर उचित निर्णय लेना जरूरी है। इस बात को समझना आवश्यक है कि आहार संबंधी आदतें दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
विश्व ओबेसिटी एटलस 2023 में भारत में मोटापे की बढ़ रही समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित किया गया है। यह बढ़ोतरी आहार संबंधी आदतों में बदलाव लाने और पोषण विकल्प बनाने की आवश्यकता की तरफ ध्यान आकर्षित करती है। साथ ही अत्यधिक कैलोरी सेवन और संभावित स्वास्थ्य जोखिमों में योगदान करने वाले उत्पादों की खपत को सीमित करने की आवश्यकता पर जोर देती है। ये निष्कर्ष और विशेषज्ञों की राय सभी पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर पैक चेतावनी लेबल के स्पष्ट और सटीक पोषण संबंधी लेबल की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। ये लेबल भाषा और साक्षरता बाधाओं को पार करने के लिए काफी सरल होने चाहिए, जिससे हर वर्ग के उपभोक्ता स्नैक्स में मौजूद पोषण सामग्री को तुरंत समझने की अनुमति मिल सके। चूंकि बिस्किट एक घरेलू व आम खाद्य पदार्थ बना हुआ है, इसलिए स्पष्ट लेबल लागू करने से न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा होगी, बल्कि सामुदायिक कल्याण के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप, स्वस्थ आहार आदतों में बदलाव को भी बढ़ावा मिलता है।

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