
सहानुभूति का अभ्यास जरूरी है
क्रोध को नियंत्रित करने में सहानुभूति और समझ की अहम भूमिका होती है। आपसी जुड़ाव बढ़ाने और निराशा को कम करने के लिए जरूरी है कि लोग एक दूसरे की बातों को सक्रिय रूप से सुनें। एक-दूसरे की भावनाओं और नजरिए को समझने की कोशिश करें। प्रतिक्रिया देने से पहले कुछ देर सोचे। क्रोध के दौरान सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रिया देने से आपसी विश्वास बढ़ता है। सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने से बातचीत विरोध से सहयोग की दिशा में आगे बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। - डॉ. प्रेमराज मीना, करौली।
संवाद और समझ बढ़ानी चाहिए
गुस्से से बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के लिए आत्म-नियंत्रण, गहरी सांस व ध्यान जैसी तकनीकों का अभ्यास कारगर होता है। संवाद और समझ बढ़ाना, तनाव प्रबंधन, सकारात्मक सोच को विकसित करना, क्रोध के कारणों की पहचान करना जरूरी है। आवश्यकता पड़ने पर मनोवैज्ञानिक परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है। परिवार और समाज में शांत, सहानुभूतिपूर्ण माहौल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। - सक्षम स्वामी, झालावाड़
अनुशासित जीवनशैली अपनाएं
गुस्से से बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति पर नियंत्रण के लिए श्वसन-तकनीक अपनाना सबसे कारगर उपाय है। इसेक अलावा सकारात्मक ऊर्जा, स्वस्थ पारिवारिक संवाद, सामाजिक काउंसलिंग होनी चाहिए। स्कूलों में भावनात्मक शिक्षा जरूरी है। समय पर मनोवैज्ञानिक सहायता व नियमित अनुशासित जीवनशैली से आक्रामक व्यवहार प्रभावी रूप से कम किया जा सकता है। - अभिषेक सांखला, बीकानेर
हिंसक सामग्री पर निगरानी होनी चाहिए
विनम्रता और सहनशीलता ही युवा वर्ग में बढ़ती गुस्सा एवं हिंसक प्रवृत्ति को रोक सकते हैं। अभिभावक बच्चों को अनुशासित, विनम्र एवं नैतिक रहना अवश्य सिखाएं। वर्तमान समय में सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को लेकर नियमित चर्चा की जानी चाहिए। इस पर प्रसारित हिंसक सामग्री पर नियमित रूप से निगरानी होनी चाहिेए। - अजीतसिंह सिसोदिया, बीकानेर
मन शांत रहना चाहिेए
गुस्से से बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के लिए मन और शरीर को शांत करना आवश्यक है। गहरी सांस लेना, धीरे-धीरे टहलना, ध्यान करना और गुस्से के शुरुआती संकेत पहचानकर स्थिति से दूर हट जाना प्रभावी उपाय हैं। उलटी गिनती करना, शांत संगीत सुनना या किसी अन्य गतिविधि में ध्यान लगाना भी गुस्से की तीव्रता कम करता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि गुस्सा आने पर शरीर में क्या परिवर्तन होते हैं और उन्हें पहचानते ही तुरंत कार्रवाई की जाए। जरूरत पड़ने पर पेशेवर सहायता लेना भी लाभकारी होता है। - राम भोजवत, बूंदी
आत्म नियंत्रण विधियां अपनाएं
गुस्से पर नियंत्रण के लिए नकारात्मक और भड़काऊ सोच को पहचानें और उसे बदलने की कोशिश करें। यह समझने की कोशिश करें कि आपको किस बात पर गुस्सा आता है, उस गुस्से के पीछे की असली वजह क्या है? गुस्से के मूल कारण को शांत होकर समझने और उसे सुलझाने का प्रयास करें, न कि सिर्फ प्रतिक्रिया दें। अपनी भावनाओं को स्वस्थ और शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त करना सीखें, ताकि दूसरों को भी आपकी बात समझ आए। कुछ देर शांत रहें चुप रहें और कुछ भी बोलने या करने से बचें। - डाॅ. मुकेश भटनागर, भिलाई
सकारात्मक विचारों को बढ़ाएं
क्रोध एक ऐसा भाव है जो भीतर से उत्पन्न होता है, इसलिए उसका नियंत्रण भी हमारे अपने हाथ में होना चाहिए। मानव जीवन को सुखी और शांतिपूर्ण बनाने के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति क्रोध पर अंकुश रखे और हिंसक व्यवहार से बचे, क्योंकि इसका नुकसान स्वयं, परिवार और समाज सभी को होता है। आत्मनियंत्रण, ध्यान, सकारात्मक विचार और आध्यात्मिक रुझान अपनाने से प्रेम, सेवा, दया और समर्पण का भाव विकसित होता है। इससे मन शांत रहता है, क्रोध की संभावना कम होती है और व्यक्ति अपने विचारों पर नियंत्रण रखकर सद्भावना से पूर्ण जीवन जी पाता है। - मोहिनी सक्सेना, देवास
आवेगपूर्ण व्यवहार कम करना होगा
क्रोध, जोकि हिंसा का जनक है, उस पर नियंत्रण के लिए आत्मअनुशासन और मानसिक संतुलन आवश्यक है। नियमित ध्यान, योग, प्राणायाम और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने से मन शांत रहता है। पर्याप्त नींद, विश्राम तकनीक और तनाव प्रबंधन से भी क्रोध के कारण होने वाले अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है। संतुलित दिनचर्या अपनाकर समाज में हिंसक प्रवृत्तियों को कम किया जा सकता है। - ओमप्रकाश श्रीवास्तव, उदयपुर
नैतिक शिक्षा पर जोर देना होगा
गुस्से पर नियंत्रण पाने के लिए धैर्य व समझ के साथ प्रत्येक रिश्ते में संवाद पर ध्यान देना होगा। शिक्षण संस्थानों में नैतिक शिक्षा अनिवार्य करनी चाहिए। परीक्षा परिणाम में भी अंक जोड़े जाने चाहिए जिससे विद्यार्थी गहनता से शिक्षा ग्रहण करें । कर्म के साथ-साथ आध्यात्मिक भाव जुड़ा होगा तो गुस्से के स्थान पर शांति और प्रेम का मार्ग प्रशस्त होगा। आम आदमी को जानना होगा कि गुस्से से नहीं आपसी संवाद से ही समस्याओं का समाधान आसान होगा। - आजाद पूरण सिंह राजावत, जयपुर
जीवनशैली सुधरनी चाहिए
गुस्से से बढ़ती हिंसक प्रवृति रोकने के लिए गहरी सांस लेकर ध्यान लगाना आत्म नियंत्रण को बढ़ाता है। गुस्सा होने के कारणों की पहचान करना चाहिए। अपने आस पास के माहौल को सकारात्मक बनाएं। जीवनशैली में सुधार और मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ से सलाह भी ली जा सकती है। - कृष्णकुमार खीचड़, पीलवा
धैर्य और संवाद बढ़ाना चाहिए
नियमित रूप से योग, ध्यान, गहरी सांस और व्यायाम मन को शांत रखते हैं। गुस्सा आने पर कुछ क्षण रुककर सोचने की आदत भी लाभकारी है। परिवार में शांत, सम्मानपूर्ण वातावरण और बच्चों को धैर्य व संवाद की सीख देना हिंसा कम करता है। स्कूलों में एंगर मैनेजमेंट, खेल और काउंसलिंग की व्यवस्था उपयोगी होती है। सोशल मीडिया पर शांत सामग्री ज्यादा प्रसारित कर शांति और सहिष्णुता बढ़ानी चाहिए। प्रशासनिक जागरूकता और काउंसलिंग से भी इस प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाया जा सकता है। - संदीप कटेवा, झुंझुनूं
सकारात्मक वातावरण बनाएं
गुस्सा आने पर आवेश में आए बिना खुद को शांत करना जरूरी है। सबसे पहले एक गिलास ठंडा पानी पीकर दो मिनट तक गहरी सांस लें, इससे दिमाग सकारात्मक मोड में आ जाता है। फिर सोचें कि जिस बात पर गुस्सा है, क्या वास्तव में इतनी तीखी प्रतिक्रिया ज़रूरी है या इसे टाला जा सकता है। 100 तक गिनती करने से निर्णय का समय मिलता है और बेहतर सोच विकसित होती है। जिस व्यक्ति पर गुस्सा हो, उससे तुरंत दूर हो जाएं। नियमित प्राणायाम, ध्यान और पर्याप्त नींद मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं तथा तनाव और आवेग को नियंत्रित करते हैं। तर्क और विवेक से काम लेना ही सर्वोत्तम मार्ग है। - लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़
Published on:
07 Dec 2025 05:28 pm
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