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यामागूची को दी टक्कर
फाइनल में सिंधू ने यामागूची को जबरदस्त टक्कर दी और उन्हें आसानी से जीतने नहीं दिया। हालांकि निर्णायक मौकों पर यामागूची ने खेल का स्तर ऊंचा उठाकर सिंधू को जीत का कोई मौका नहीं दिया। पहले गेम में भारतीय खिलाड़ी ने दमदार शुरुआत की। एक समय स्कोर 8-8 से बराबर था। इसके बाद, सिंधु ने यामागूची पर 11-8 से बढ़त बना ली थी। लेकिन यहां से चौथी सीड जापानी खिलाड़ी ने दमदार वापसी करते हुए सिंधु को कोई मौका नहीं दिया और पहला गेम 21-15 से अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम में भी सिंधु ने यामागुची को कड़ी टक्कर दी, लेकिन वह जीत नहीं दर्ज कर पाईं।
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इस सत्र में एक भी खिताब नहीं जीत सकीं है सिंधू
इस हार के साथ पीवी सिंधू का इस सत्र में खिताबी जीत का इंतजार और लंबा हो गया। बता दें कि इस सत्र में वह कोई टूर्नामेंट नहीं जीत सकी हैं। इस साल पहली बार वह किसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थीं, लेकिन फाइनल में यामागूची से हार के साथ उनका इस साल खिताबी जीत का इंतजार और लबा हो गया। पिछला खिताब उन्होंने उन्होंने दिसंबर 2018 में विश्व टूर फाइनल्स जीता था।
ऐसा रहा था फाइनल तक का सफर
सिंधू ने प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में डेनमार्क की मिया ब्लिचेफेल्डट को एक घंटे दो मिनट तक चले तील गेम के कड़े मुकाबले में 21-14, 17-21, 21-11 से मात दी थी। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज और टूर्नामेंट में तीसरी वरीयता प्राप्त जापान की नोजोमी ओकुहारा को सीधे दो गेम में मात्र 44 मिनट में 21-14, 21-7 से हराया था, जबकि सेमीफाइनल में विश्व नंबर तीन तथा टूर्नामेंट में दूसरी सीडेड खिलाड़ी चीन की चेन यू फेई को सीधे दो गेम में 21-19, 21-10 से मात दी थी। लेकिन अपने जीत का सिलसिला वह फाइनल में कायम नहीं रख सकीं।