परिवार ने बताया, हम जानते हैं कि उन्हें बहुत से लोगों का प्यार मिला है और इसलिए हमें आज अनगिनत संदेश और कॉल आ रहे हैं। हम सभी से ये कहना चाहते हैं कि धैर्य रखें और विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि हमारी और आपकी सुरक्षा की वजह से अभी कोई व्यक्ति हमारे घर में न आएं।
पाकिस्तानी सिनेमा की पहली अभिनेत्री हैं सबिहा
आपको बता दें कि सबिहा खानम पाकिस्तान की सिल्वर स्क्रीन की फर्स्ट लेडी ( Sabiha Khanam First Lady of Pakistan’s Silver Screen ) हैं। खानम को उनके काम के लिए 1986 में प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस ( Pride of Performance ) से नवाजा गया था। अपने करियर में खानम ने कई बेहतरीन फिल्मों में अपनी अदाकारी को लोहा मनवाया। इनमें से कुछ बेहतरीन फ़िल्में Ayaz (1960), Saath Laakh (1957), Kaneez (1965), Anjuman (1970), Tehzeeb (1971) हैं। खानम के चाहने वालों और प्रशंसकों ने उन्हें स्थानीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए याद किया।
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बता दें कि सबिहा का जन्म गुजरात के पास पंजाब के एक गांव में मुख्तार बेगम के यहां हुआ था। जब सबिहा सिर्फ छह साल की थी, तब उसकी मां की मृत्यु हो गई। उसके पिता लाहौर में रहते थे। सबिहा को उसके दादा-दादी ने पाला था। वहीं पर उन्होंने गायों का दूध निकालना, कुएं से पानी निकालना, रोटियां बनाना और मक्खन लगाना आदि सबकुछ सीखा।
बड़े होने के बाद उसके पिता उसे वापस शहर ले गए। उनका एक दोस्त उसे लाहौर दिखाने ले गया और जीवन में पहली बार सबिहा ने बड़े पर्दे पर एक फिल्म देखी। इसके तुरंत बाद, सबिहा ने रेडियो पाकिस्तान का दौरा किया, जहां उसके पिता के दोस्त ने काम किया था। इस दौरान उन्हें एक लाइव कार्यक्रम में गाने का मौका दिया गया। कुछ दिनों बाद, उसने थिएटर में एक नाटक देखा। इसके बाद वहां उन्होंने ऑडिशन दिया और पीछे मुड़कर कभी नहीं देखी।
1950 में आई थी सबिहा की पहली फिल्म
बता दें कि सबिहा खानम की पहली फिल्म बेली (1950) में आई थी, जिसमें संतोष कुमार का भी पहला डेब्यू फिल्म थी। आगे चलकर संतोष कुमार पाकिस्तानी सिनेमा का सबसे महान और सबसे लोकप्रिय अभिनेता बने। खानम की पहली फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही, क्योंकि उस दौर में भारत का विभान का समय था। उसी साल उनकी अगली फिल्म दो आंसू ने सबिहा को एक स्टार बना दिया।
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यह पाकिस्तान की पहली उर्दू फिल्म थी जिसने अपनी रजत जयंती (लगातार 25 सप्ताह तक एक थियेटर में चलने) को रिकॉर्ड बनाया। यह फिल्म इतना हिट रहा कि इसे पाकिस्तान में दो बार फिर से बनाया गया था। पंजाबी में डिलन दा सौदा (1969) और उर्दू में अंजुमन (1970) के नाम से फिल्माया गया था।