script28 साल पुराना मामला : अधिवक्ता को झूठे मामले में फंसाया, आरोपी पूर्व IPS को 20 साल की सजा | Accused former IPS Sanjeev Bhatt sentenced to 20 years | Patrika News
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28 साल पुराना मामला : अधिवक्ता को झूठे मामले में फंसाया, आरोपी पूर्व IPS को 20 साल की सजा

पालनपुर [गुजरात] की विशेष एनडीपीएस अदालत ने वर्ष 1996 के ड्रग प्लांटिंग मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 वर्ष की कैद की सजा सुनाई। साथ ही 2 लाख रुपए जुर्माने का भी आदेश दिया गया।

पालीMar 29, 2024 / 03:40 pm

rajendra denok

28 साल पुराना मामला : अधिवक्ता को झूठे मामले में फंसाया, आरोपी पूर्व IPS को 20 साल की सजा

आरोपी पूर्व IPS संजीव भट्ट व अधिवक्ता सुमेरसिंह

पालनपुर की विशेष एनडीपीएस अदालत ने वर्ष 1996 के ड्रग प्लांटिंग मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 वर्ष की कैद की सजा सुनाई। साथ ही 2 लाख रुपए जुर्माने का भी आदेश दिया गया। जुर्माना नहीं भरने पर भट्ट को एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अदालत ने एनडीपीएस अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की 11 विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई। बुधवार को उन्हें दोषी करार दिया गया था।
मामले के अनुसार भट्ट पर अप्रेल 1996 में पालनपुर के एक होटल में राजस्थान के पाली के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित के कमरे में 1.15 किलो अफीम प्लांट करने का आरोप था। वे उस वक्त बनासकांठा जिला के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे। इस मामले में वर्ष 2018 में सीआईडी क्राइम ने भट्ट व तत्कालीन पुलिस निरीक्षक को भी गिरफ्तार किया था। इसी मामले में पालनपुर की स्थानीय अदालत ने गत वर्ष अक्टूबर महीने में तथ्य छिपाने को लेकर लगातार दायर याचिका पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इससे पहले इसी मामले में 3 लाख रुपए का दंड का आदेश दिया था। वे पिछले पांच साल से पालनपुर जेल में बंद है।
2019 में उम्र कैद की हो चुकी है सजा
भट्ट को इससे पहले वर्ष 2019 में जामनगर के हिरासत में मौत मामले में उम्र कैद की सजा मिल चुकी है। गुजरात हाईकोर्ट ने इस फैसले को बहाल रखा था।
दुकान खाली कराने के लिए रची थी साजिश
यह साजिश पाली शहर के वर्धमान मार्केट में एक दुकान खाली कराने के लिए रची थी। इस दुकान में अधिवक्ता सुमेरसिंह राजपुरोहित का ऑफिस चल रहा था। राजपुरोहित के भाई ने यह दुकान अमरीदेवी से किराए पर ली थी। अमरीदेवी ने इसके लिए गुजरात हाईकोर्ट के जज आरआर जैन से मदद मांगी। जैन ने बनासकांठा के तत्कालीन एसपी भट को दुकान खाली कराने के लिए कहा। एसपी भट्ट ने 30 अप्रेल 1996 को पालनपुर के एक होटल में वकील सुमेरसिंह के नाम से एक कमरा बुक कराया। उसी कमरे से एक किलो अफीम बरामदगी दिखाई। 2 मई को गुजरात पुलिस पाली पहुंची और सुमेरसिंह राजपुरोहित को पाली से उठा ले गई।
सत्य की जीत : 28 सालों में मैंने बहुत परेशानियां झेली, लेकिन आखिर सच ही जीता: सुमेरसिंह
मेरे साथ यह घटना एक हादसे से कम नहीं थी। छह- सात साल की वकालत में नया ऑफ़सि शुरू किया था। अचानक एक रात को घर के बाहर कुछ लोग बुलाने लगे। मैं सहजता से दरवाज़ा खोल गेट के पास गया तो वहां कुछ लोग खड़े थे। अचानक बात करने के बाद घर के अंदर दीवार फांद कर आ गए और मुझे उठाकर अपहरण कर ले जाने लगे। मैं चिल्लाया तभी पाली पुलिस गश्त करने वाली जीप आ गई। उसने गाड़ी का पीछा कर रुकवाया और उससे पूछताछ की। उन्होंने अपना परिचय दिया। उस गाड़ी पर नंबर प्लेट भी राजस्थान के फर्जी नंबरों की थी। बाद में थाना कोतवाली ले गए। वहां मुझे बताया कि पालनपुर में मेरे खिलाफ अफ़ीम का केस दर्ज है। मैं कभी जीवन में पालनपुर नहीं गया, फिर मुझे पालनपुर ले जाने लगे। तब पालनपुर पुलिसवालों ने मुझे वर्धमान मार्केट और दुकान के बारे में पूछा तो मुझे षडयंत्र की जानकारी लगी।
इस मामले में आपराधिक कृत्य करने वाले तत्कालीन गुजरात हाई कोर्ट के जज आर आर जैन, एस पी संजीव भट्ट और अन्य पुलिसकर्मी थे। जिनसे लड़ाई लड़ना मेरे लिए आसान नहीं था। उन लोगों के विरुद्ध मेरे द्वारा दर्ज करवाए मुक़दमे को ख़ारिज करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट, राजस्थान हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 70-80 पिटिशन अलग अलग समय मे दायर की गई थी। पिटिशन के लिए मुझे और मेरे अधिवक्ताओं को कम से कम सौ बार दिल्ली और सौ से अधिक बार अहमदाबाद आना जाना पड़ा। पाली बार एसोसिएशन तथा पाली ज़लिे के समस्त बार एसोसिएशन एवं बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान ने मेरे साथ हुई घटना को गंभीरता से लिया और अपने स्तर पर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया। मुझे हर स्तर पर समर्थन दिया और लड़ाई संगठन के स्तर पर लडी गई।
अन्यथा मैं अकेला शायद इसे लड़ने में सक्षम नहीं था। कई बार मुझे और मेरे वक़ील को धमकियां भी मिलीं और राजीनामा करने के लिए प्रलोभन भी दिए गए। दबाव भी डाला, लेकिन संगठन में शक्ति होती है। इस धारणा से हम सब ने मिलकर यह संघर्ष किया। इसमें हमें सफलता मिली है। कहते हैं कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता है। सत्य की हमेशा जीत होती है। न्याय के लिए समय लग सकता है, लेकिन जीत हमेशा सत्य की होती है। मुझे इन 28 वर्षों के दौरान बहुत सारी मुसीबतें उठानी पड़ी।

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