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पाली

आशाओं ने ठाना है, कोरोना को हराना है

-आशा दिन में करती सर्वे और रात को मास्क बनाकर नि:शुल्क करती है वितरित

पालीApr 04, 2020 / 12:57 pm

Suresh Hemnani

आशाओं ने ठाना है, कोरोना को हराना है

आशाओं ने ठाना है, कोरोना को हराना है

पाली। कोरोना वायरस को हराने में चिकित्सा विभाग के साथ ऐसी महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रही है, जिनको मानदेय के नाम पर महज 2700 रुपए मिलते हैं। बावजूद वे एक योद्धा के समान मोर्च पर डटी है। आशाएं दिन में घर-घर जाकर कोरोना जैसे लक्षण वाले लोगों की जानकारी जुटाने के साथ इससे बचाव के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है। इस काम के साथ कई आशाएं घर लौटने के बाद मास्क बनाती है और फिर अगले दिन गलियों में सर्वे करते समय यह नि:शुल्क लोगों को बांटती है।
यह कार्य है आशाओं के जिम्मे
जिला आशा समन्वयक कुलदीप गोस्वामी ने बताया कि आशाओं को कई कार्य करने होते है। इनमें कोरोना संदिग्ध व्यक्तियों की समय पर पहचान करना, गत 14 दिनों में यात्रा करने वाले व कोरोना संदिग्ध अथवा संक्रमित के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों की सूची तैयार करना, होम क्वारंटाइन की सलाह देना, फोलोअप का कार्य, लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी लेना, कोरोना संदिग्ध की सूचना संबंधित चिकित्सा अधिकारी या सुपरवाइजर को देना आदि शामिल है।
ये आशाएं बनी प्रेरणा स्रोत
जैतारण ब्लॉक के लांबिया गांव में आशा सहयोगिनी तारा शर्मा ने अब तक 3240 से अधिक मास्क बनाकर वितरित किए। बिराटियां खुर्द की आशा सहयोगिनी गायत्री सैन ने 200 से अधिक, बासनी तिलवारिया आंगनबाड़ी केंद्र की आशा सहयोगिनी सीमा देवी ने 30, आलावास आंगनवाड़ी केंद्र 2 पर कार्यरत गुड्डी देवी ने 90, गुंदोज ग्राम पंचायत के आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 5 की संपति जीनगर ने 125, खैरवा की गिरीजा प्रजापत ने 25, ठाकुरला गांव की भाग्यवंती ने 150, पाली शहर के तेली कॉलोनी की लीला परमान ने 50, लौटोती गांव की राजभवानी ने 50, निंबोल की आशा सहयोगिनी अंजू कंवर ने 70 से अधिक मास्क बनाकर वितरित किए है। इनकी यह मुहिम अभी भी जारी है। इसके अलावा भी कई आशाओं ने मास्क बनाकर वितरित किए है।
1500 से अधिक आशाएं
जिले के दस ब्लॉकों में करीब 15 सौ अधिक आशाएं कार्यरत है। इनमें से 100 से अधिक आशाओं ने अभी तक मास्क बनाकर उपलब्ध कराए है। यह मास्क भी उन्होंने अपने स्तर पर तैयार किए और नि:शुल्क बांटे है। जबकि उनकी आय महिलाएं एवं बाल विकास व महिला अधिकारिता विभाग में सबसे कम है।

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