जल संसाधन विभाग ने 34.84 लाख की मनरेगा के तहत वित्तीय स्वीकृति जारी की। स्वीकृति जारी होने के डेढ़ वर्ष से भी अधिक गुजर जाने पर भी अब तक निर्माण शुरू नहीं हो पाया। इससे कमांड क्षेत्र के किसानों में रोष है। उल्लेखनीय है कि दूदापुरा ग्राम पंचायत की सरहद में इंदिरा योजना के तहत वर्षो पूर्व अरावली पर्वत से निकलने वाले तीन प्राकृतिक बरसाती नालों पर इस बांध का निर्माण किया था। इसका मुख्य उद्देश्य दूदापुरा और छोड़ा गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। बांध निर्माण के बाद नहर को कच्चा ही रखा गया। इसके कारण वर्षों से इस बांध की नहर कच्ची होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बांध की भराव क्षमता 17 फीट है। हर वर्ष बांध में पानी की आवक होने से किसानों को तीन पाण पानी भी मिल जाता है। ऐसे में बांध किसानों के लिए उपयोगी होते हुए राज्य सरकार ने 2001 में जल संसाधन विभाग से लेकर पंचायत को सौंप दिया। मगर बांध के रखरखाव को लेकर राज्य सरकार ने 17 वर्षों में कभी बजट पंचायत को आवंटन नहीं किया। इसके कारण इस बांध की मोरी क्षतिग्रस्त हो गई। इससे वर्तमान में भी पानी बाहर निकल रहा है। ऐसे में दूदापुरा सरपंच स पतदास वैष्णव ने पक्की नहर के निर्माण के लिए पंचायत का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजा। इसके तहत मार्च 2017 में जल संसाधन विभाग ने छोड़ा बांध की नहर को पक्का करने के लिए 34.84 लाख की राशि स्वीकृति की। मगर विभाग की ओर से बांध की नहर का निर्माण शुरू नहीं करवाया गया है।
450 मीटर बनेगी पक्की नहर
छोडा बांध की कच्ची नहर तो वैसे तो डेढ से दो किलोमीटर लम्बी है। जल संसाधन विभाग द्वारा मनरेगा योजना के तहत 34.84 लाख की राशि स्वीकृत की है। इसके तहत बांध की 450 मीटर कच्ची नहर का पक्का निर्माण किया जाना था। बांध की पक्की नहर निर्माण पर सामग्री मद पर 15.84 लाख और श्रम पर 19 लाख की राशि खर्च की जाएगी।
छोडा बांध की कच्ची नहर तो वैसे तो डेढ से दो किलोमीटर लम्बी है। जल संसाधन विभाग द्वारा मनरेगा योजना के तहत 34.84 लाख की राशि स्वीकृत की है। इसके तहत बांध की 450 मीटर कच्ची नहर का पक्का निर्माण किया जाना था। बांध की पक्की नहर निर्माण पर सामग्री मद पर 15.84 लाख और श्रम पर 19 लाख की राशि खर्च की जाएगी।
नहीं होगा दुरुपयोग
छोड़ा बांध की नहर वैसे डेढ़ से दो किलोमीटर ल बी है, मगर कई जगह नहर के बरसात में क्षतिग्रस्त हो जाती है। ऐसे में रबी की फसल की सिंचाई के लिए बांध से पानी नहर में छोड़ा जाता है, तब पानी व्यर्थ बहता जाता है। इसका दुरुपयोग किया जाता है। पक्की नहर का निर्माण होने से पानी का दुरुपयोग रुक जाएगा।
छोड़ा बांध की नहर वैसे डेढ़ से दो किलोमीटर ल बी है, मगर कई जगह नहर के बरसात में क्षतिग्रस्त हो जाती है। ऐसे में रबी की फसल की सिंचाई के लिए बांध से पानी नहर में छोड़ा जाता है, तब पानी व्यर्थ बहता जाता है। इसका दुरुपयोग किया जाता है। पक्की नहर का निर्माण होने से पानी का दुरुपयोग रुक जाएगा।
किसानों को मिलेगा फायदा
जल संसाधन विभाग द्वारा मनरेगा योजना के तहत छोड़ा बांध की कच्ची नहर का पक्का निर्माण करने से इसका फायदा किसानों को मिलेगा। विभाग द्वारा निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है। -सम्पत वैष्णव, सरपंच, पंचायत दूदापुरा
जल संसाधन विभाग द्वारा मनरेगा योजना के तहत छोड़ा बांध की कच्ची नहर का पक्का निर्माण करने से इसका फायदा किसानों को मिलेगा। विभाग द्वारा निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है। -सम्पत वैष्णव, सरपंच, पंचायत दूदापुरा
ठेकेदार के खिलाफ की जाएगी कार्यवाही
छोड़ा बांध की कच्ची नहर का पक्का निर्माण करने के लिए विभाग द्वारा ठेकेदार को टेंडर जारी किए गए थे। ठेकेदार को बार-बार नोटिस देने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही कर टेंडर को निरस्त किया जाएगा। -ताराराम गेहलोत, सहायक अभियंता, जलसंसाधन विभाग, बाली
छोड़ा बांध की कच्ची नहर का पक्का निर्माण करने के लिए विभाग द्वारा ठेकेदार को टेंडर जारी किए गए थे। ठेकेदार को बार-बार नोटिस देने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही कर टेंडर को निरस्त किया जाएगा। -ताराराम गेहलोत, सहायक अभियंता, जलसंसाधन विभाग, बाली