चार माह का पानी तालाब में
रोहट कस्बे के मुख्य तालाब का हिस्सा दो भागों में बंटा हुआ है। बीच में एक पाळ है। इसके दोनों तरफ तालाब में पर्याप्त मात्रा में पानी भरा है। तालाब की क्षमता तकरीबन 13 फीट है और वर्तमान में 10 फीट पानी तालाब में पड़ा है जो काम में नहीं लिया जा रहा है।
रोहट कस्बे के मुख्य तालाब का हिस्सा दो भागों में बंटा हुआ है। बीच में एक पाळ है। इसके दोनों तरफ तालाब में पर्याप्त मात्रा में पानी भरा है। तालाब की क्षमता तकरीबन 13 फीट है और वर्तमान में 10 फीट पानी तालाब में पड़ा है जो काम में नहीं लिया जा रहा है।
पम्प हाउस पर खर्च नहीं
रोहट कस्बे के तालाब से एक समय में रोहट क्षेत्र के 90 गांवो में पानी की सप्लाई होती थी। वर्तमान में हर वर्ष लाखों रूपए टैंकरों पर खर्च किए जा रहे हैं। यह पैसा तालाब के पम्प हाउस पर खर्च किया जाए तो समूचे क्षेत्र में रोहट तालाब से पानी की सप्लाई की जा सकती है।
रोहट कस्बे के तालाब से एक समय में रोहट क्षेत्र के 90 गांवो में पानी की सप्लाई होती थी। वर्तमान में हर वर्ष लाखों रूपए टैंकरों पर खर्च किए जा रहे हैं। यह पैसा तालाब के पम्प हाउस पर खर्च किया जाए तो समूचे क्षेत्र में रोहट तालाब से पानी की सप्लाई की जा सकती है।
पाइप लाइन लिकेज होते ही पानी का संकट
मंडली पम्प हाउस से रोहट तक आ रही जलदाय विभाग की जीआरपी पाइप लाइन गर्मी में आए दिन लिकेज हो जाती है। रोहट को कई दिनों तक पानी के लिए तरसना पड़ता जाता है ऐसे में अगर रोहट तालाब में पानी का स्टोरेज किया जाता है तो रेाहट क्षेत्र में पानी की समस्या नही होगी।
मंडली पम्प हाउस से रोहट तक आ रही जलदाय विभाग की जीआरपी पाइप लाइन गर्मी में आए दिन लिकेज हो जाती है। रोहट को कई दिनों तक पानी के लिए तरसना पड़ता जाता है ऐसे में अगर रोहट तालाब में पानी का स्टोरेज किया जाता है तो रेाहट क्षेत्र में पानी की समस्या नही होगी।
टैंकरों के नाम मची है लूट
रोहट क्षेत्र की जनता पानी के लिए तरस रही है। जलदाय विभाग रोहट में हमेशा पानी के टैंकरों की कतार लगी रहती है। रोहट क्षेत्र के ग्रामीणों को मजबूरन 500 से 1000 रुपए देकर पानी के टैंकर डलवाने पड़ते हैं। पानी के टैंकर के नाम पर मनमानी लूट मची हुई है। कई टैंकर मालिकों ने इसे व्यापार बना लिया है।
रोहट क्षेत्र की जनता पानी के लिए तरस रही है। जलदाय विभाग रोहट में हमेशा पानी के टैंकरों की कतार लगी रहती है। रोहट क्षेत्र के ग्रामीणों को मजबूरन 500 से 1000 रुपए देकर पानी के टैंकर डलवाने पड़ते हैं। पानी के टैंकर के नाम पर मनमानी लूट मची हुई है। कई टैंकर मालिकों ने इसे व्यापार बना लिया है।