यों बनी समिति
इसके संस्थापक बाबूसिंह राजपुरोहित मूल रूप से बीकानेर के रहने वाले है। उनके पास लॉकडाउन लगने के दूसरे दिन वहां से फोन आया कि बीकानेर के चार-पांच श्रमिक पाली में है। उनका ठेकेदार छोड़ गया है। भोजन की व्यवस्था हो सकती है क्या? उसी समय बाबूसिंह ने सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव सेवा समिति नाम से एक समिति का गठन किया और देखते-देखते ही कई सदस्य इससे जुड़ गए।
इसके संस्थापक बाबूसिंह राजपुरोहित मूल रूप से बीकानेर के रहने वाले है। उनके पास लॉकडाउन लगने के दूसरे दिन वहां से फोन आया कि बीकानेर के चार-पांच श्रमिक पाली में है। उनका ठेकेदार छोड़ गया है। भोजन की व्यवस्था हो सकती है क्या? उसी समय बाबूसिंह ने सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव सेवा समिति नाम से एक समिति का गठन किया और देखते-देखते ही कई सदस्य इससे जुड़ गए।
अपने आप दे जाते हैं सामान
समिति का गठन होने पर संस्थापक ने अपने कार्य स्थल पर ही पहले दिन भोजन बनवाया। इसके बाद क्षेत्रवासियों ने खाद्य सामग्री उपलब्ध करवा दी। इसके बाद तो कारवां ऐसा चला कि रोजाना कोई न कोई व्यक्ति पहुंचकर उनकी जरूरत पूरी कर देता है। सब्जी डेढ़ माह से एक व्यक्ति ही दे रहे है, लेकिन नाम की चाह नहीं है।
समिति का गठन होने पर संस्थापक ने अपने कार्य स्थल पर ही पहले दिन भोजन बनवाया। इसके बाद क्षेत्रवासियों ने खाद्य सामग्री उपलब्ध करवा दी। इसके बाद तो कारवां ऐसा चला कि रोजाना कोई न कोई व्यक्ति पहुंचकर उनकी जरूरत पूरी कर देता है। सब्जी डेढ़ माह से एक व्यक्ति ही दे रहे है, लेकिन नाम की चाह नहीं है।
31 यूनिट उपलब्ध कराया रक्त
समिति के सदस्यों ने जरूरत पडऩे पर रक्तदान करने में भी पीछे नहीं रहे। लॉकडाउन में ब्लड बैंक में रक्त की जरूरत का जब भी बुलाया आया, समिति सदस्य तुरन्त पहुंच गए। अब तक समिति के सदस्य 31 यूनिट रक्तदान कर चुके हैं।
समिति के सदस्यों ने जरूरत पडऩे पर रक्तदान करने में भी पीछे नहीं रहे। लॉकडाउन में ब्लड बैंक में रक्त की जरूरत का जब भी बुलाया आया, समिति सदस्य तुरन्त पहुंच गए। अब तक समिति के सदस्य 31 यूनिट रक्तदान कर चुके हैं।
हर व्यक्ति का ब्योरा
समिति की ओर से आज तक पैदल चलने वाले, बांगड़ अस्पताल के मरीजों के साथ निजी चिकित्सालयों और ट्रेन में जाने वाले श्रमिकों के साथ शहर के जरूरतमंद 1 लाख लोगों को भोजन कराया गया है। इन सभी का ब्योरा भी समिति के पास है।
समिति की ओर से आज तक पैदल चलने वाले, बांगड़ अस्पताल के मरीजों के साथ निजी चिकित्सालयों और ट्रेन में जाने वाले श्रमिकों के साथ शहर के जरूरतमंद 1 लाख लोगों को भोजन कराया गया है। इन सभी का ब्योरा भी समिति के पास है।
ये जुटे सेवा में
इस समिति के प्रेमसिं भाटी, आचार्य घनश्याम, दिलीप कुमावत, मनीष, खुशाल जोशी, शंकर माली, हरिओम सिंह, पप्पू विश्वकर्मा, दिनेश भाटी, जाकिर हुसैन, प्रकाश सोनी, श्याम सिंधी, तनीष, तुलसीदास वैष्णव, नवरतन वैष्णव, हिम्मतहसिंह व संग्रामसिंह आदि सेवा में जुटे हैं।
इस समिति के प्रेमसिं भाटी, आचार्य घनश्याम, दिलीप कुमावत, मनीष, खुशाल जोशी, शंकर माली, हरिओम सिंह, पप्पू विश्वकर्मा, दिनेश भाटी, जाकिर हुसैन, प्रकाश सोनी, श्याम सिंधी, तनीष, तुलसीदास वैष्णव, नवरतन वैष्णव, हिम्मतहसिंह व संग्रामसिंह आदि सेवा में जुटे हैं।
युवा संभाल रहे व्यवस्था
मेरी पत्नी व बच्चों के साथ मोहल्ले की महिलाएं सुबह साढ़े चार बजे उठकर भोजन की तैयारी में जुटते हैं। मोहल्ले के 20 युवा रोजाना भोजन का वितरण करते है। बाबा की कृपा से रात में भी किसी के भोजन की जरूरत होने पर हमने मना नहीं किया। –बाबूसिंह राजपुरोहित, संस्थापक, समिति
मेरी पत्नी व बच्चों के साथ मोहल्ले की महिलाएं सुबह साढ़े चार बजे उठकर भोजन की तैयारी में जुटते हैं। मोहल्ले के 20 युवा रोजाना भोजन का वितरण करते है। बाबा की कृपा से रात में भी किसी के भोजन की जरूरत होने पर हमने मना नहीं किया। –बाबूसिंह राजपुरोहित, संस्थापक, समिति