काले तिल होते हैं सर्वोत्तम
जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि तिल काले, सफेद व लाल रंग के होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार काले तिल श्रेष्ठ, सफेद मध्यम व रक्त तिल निम्म गुण के माने जाते हैं। तिल मीठे, कषैले व गर्म तासीर वाले होते है। शरीर की सुक्ष्म नाडि़यों को पोषित करते हैं। शरीर में चिकनाई, पाचन शक्ति बढ़ाने वाले होते है। वायु के विकारों को दूर करता है। हड्डियाें, मांसपेशियों व जोड़े के दर्द को दूर करने में सहायक है। तिलोदभवम् तेलम जिसका अर्थ जिसका उद्भाव तिल से होता है वह तेल है। तिल अच्छे कॉलेस्ट्रोल को बढ़ाता है। मधुमेह, त्वचा रोग आदि में लाभदायक है। विटामिन डी, कैिल्शयम, आयरन, मैग्निशियम व वसा का अच्छा स्रोत है। सर्दियों के मौसम में इसे सौंफ के स्थान पर चबाकर खाने से विशेष लाभ होता है।
गुड़ के यह है गुण
शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाला सबसे बेहतर खाद्य पदार्थ है। इसके सेवन से शरीर में गर्मी बनी रहती है। रक्त की कमी नहीं होती। मैग्निशियम की कमी दूर होती है। हड्डियाें को मजबूती प्रदान करता है। कम मात्रा में इसे रोजाना उपयोग लेने पर बीपी को भी नियंत्रित करता है। गुड़ ग्लूकोज का भंडार है। इसे खाने से शक्ति, स्फूर्ति व उत्साह का संचार होता है।
एक्सपर्ट टॉपिक
मारवाड़ में लोग बाजरे व मक्के की खिचड़ी भी खाते है। खिचड़ी खाने से वाक-पित्त व कफ तीनों का संतुलन बनाती है। इससे शरीर स्वस्थ व निरोगी रहता है। धार्मिक रूप से देखे तो खिचड़ी, तिल व गुड़ आदि खाने व दान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। ऐसे में गरीबों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए भी इनका दान किया जाता है।- डॉ. जयराजसिंह शेखावत, वरिष्ठ चिकित्सक, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय, पाली