रावले के बाहर करीब एक घंटे तक कथा के बाद बारात गाजे-बाजे से रवाना होती है। जो कुम्हारों वास से गुजरती है। इस दौरान गली-मोहल्लों में छतों से लोग रंग, गुलाल व पुष्प वर्षा करते हैं। बारात ब्रह्मपुरी में मोजनी देवी के घर पहुंचने पर औरतें पुष्प वर्ष व गालियों से दूल्हे का स्वागत करती हैं। यहां हिन्दू परम्परानुसार मोजनी देवी की मोजीराम से विवाह होता है।
बंदोली में मौजीराम को घोड़े पर नहीं बैठाकर एक व्यक्ति अपने कंधे पर उठाता है। बन्दोली की शुरुआत जैन मन्दिर से होती है। यहां से बारात सुनारों के बास में जाकर रुकती है। यहां सोनीजी की ओर से सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं। फिर बंदोली वापस वर के घर पहुंचती है। जहां मौजीराम का स्वागत धूमधाम से होता है। रावले के बाहर चौक में बिठाकर मौजीराम की कथा वाचन होता है।
मौजीराम व मौजनी देवी के विवाह महोत्सव की तैयारियों में युवा एक माह पूर्व ही लग जाते हैं। लोगों को पीले चावल व पत्रिका देकर आमंत्रित करते हैं। मौजीराम व मौजनी देवी की प्रतिमाओं पर विभिन्न रंगों, पदार्थों व सुगंधित द्रव्यों की ओर से श्रृंगार करते हैं। जो सुन्दर, विचित्र व मनमोहक परम्परा है।
मैं 72 साल का हूं। जब से मैंने इनके विवाह की रस्म देखी है। यह परम्परा उसी प्रकार चली आ रही है। इसमें सभी धर्मों के लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते है।
गणपतसिंह, ग्रामीण