कि वे जब चार साल के थे तब सुबह उठकर मां-मां कहते हुए अंधेरे में ही
दरवाजे की तरफ बढ़े। इस दौरान दरवाजे का हैंडल उनकी आंख में लग गया।
परिवार के लोगों ने ऑपरेशन भी करवाया लेकिन आंख की रोशनी वापस नहीं आई ओर
संक्रमण के कारण दूसरी आंख की रोशनी भी कम हो गई जो उम्र के साथ बढ़ती जा
रही है। उन्होंने बताया कि जब वे बड़े हुए तो अपनी इस कमजोरी के कारण आने
वाली परेशानियों के कारण खूब रोए कि आखिर भगवान ने उनके साथ ऐसा क्यों
किया। लेकिन उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया ओर शिक्षा की डोर थामे
आगे बढ़ते गए। उन्होंने बताया कि स्कूल समय से ही वे अपनी श्रेणी के
बच्चों में शिक्षा के साथ खेल में भी अव्वल थे। जिसके चलते उनकी गुम्टूर
में बैंक में सहायक मैनेजर के पद पर नौकरी लग गई और बाद में नेशनल टीम का
हिस्सा बने। उनकी शादी भी सामान्य महिला हो गई।
उन्होंने बताया कि वे पढ़ाई में अव्वल रहते थे। रेडियो पर सचिन तेंदुलकर
व राहुल द्रविड़ को क्रिकेट खेलते हुए कि कामेंट्री सुनने के दौरान उनका
मन भी नेत्रहीन क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का हुआ। उन्होंने बताया कि
स्कूल समय से ही वे नेत्रहीन क्रिकेट टीम का हिस्सा था ओर मौका मिलने पर
भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गए।
उन्होंने बताया कि वे जब उपकप्तान थे तब वर्ष २०१२ में पाकिस्तान को हरा
कर टीम ने टी-२० वल्र्ड कप जीता ओर उनकी कप्तानी में वर्ष २०१७ में भी
पाकिस्तान को हरा टी-२० वल्र्ड कप जीता। वर्ष २०१४ व २०१८ में पाकिस्तान
की टीम को हरा वन-डे के दो वल्र्ड कप जीते।