केस: 2
21 सितम्बर को मारवाड़ जंक्शन थाना पुलिस ने हत्या के मामले में दो नाबालिग को गिरफ्तार किया था। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि शराब पार्टी में कहासुनी को लेकर पत्थर से वार कर दोनों नाबालिग ने युवक की हत्या कर दी थी।
केस: 3
24 अगस्त को जोधपुर- बनाड़ थाना पुलिस ने पाली जिले के फालना से नांदड़ा कला सर्कल पहुंचने के बाद पिस्तौल दिखाकर कार व रुपए लूटने के मामले में एक नाबालिग को संरक्षण में लिया था। पूछताछ में उसने एक आरोपी के साथ मिलकर लूट करना स्वीकार किया था। फालना से नाबालिग व आरोपी युवक भी दो हजार रुपए में जोधपुर के बनाड़ छोड़ने के लिए कार में सवार हो गए थे।
केस: 4
जुलाई में रानी थाना पुलिस ने एक नाबालिग बाइक चोरी के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। जिसमें सामने आया कि आरोपी 14 वर्षीय नाबालिग पुत्र के साथ रैकी करता था। नाबालिग की ओर से मास्टर चाबी से ताला खोलने के बाद मौक़ा देखकर पिता-पुत्र गाड़ी लेकर फरार हो जाते थे।
नाबालिग व युवा भी अपराध की राह पर चल पड़े हैं। कहीं पर ये आसान शिकार बन रहे हैं तो कहीं पर ये खुद शिकार करने लगे हैं। हत्या, लूट व बलात्कार ही नहीं, अन्य कई गंभीर अपराध करने से भी नहीं हिचकिचा रहे। बाल अपराध में अब पाली जिला भी शामिल हो गया है। पिछले पांच साल में करीब बीस फीसदी में इनकी संलिप्तता पाई गई है।
आंकड़ों के अनुसार पोक्सो के आरोपियों में भी इनकी संख्या करीब एक चौथाई है। पाली जिले में करीब एक दर्जन से अधिक अन्य राज्यों के गिरोह बाल अपराध बढ़ाने में शामिल रहे हैं। ज्यादातर गिरोह नाबालिग बच्चों को आगे रखकर वारदात को अंजाम देते है। यही नहीं कोरोना के बाद से अपने स्तर पर भी नाबालिग आपराधिक वारदात करने से नहीं चूक रहे हैं। पिछले तीन साल में दो दर्जन हत्या की वारदात में भी नाबालिग शामिल हुए।मादक पदार्थ की तस्करी में भी इनकी संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों सदर थाना पुलिस ने एक नाबालिग को निरुद्ध किया था, जिसने अपने ही चचेरे भाई की हत्या कर दी थी।
शौक पूरा करने के लिए अपराध की राह
गत दिनो शहर में एक महिला का पर्स लूटने का मामला हो या नाना थाने के एक युवा हिस्ट्रीशीटर का मामला। बड़ी वारदात में शामिल आरोपियो से पूछताछ में भी रोचक जानकारियां सामने आई हैं। असल में कई नाबालिग शौहरत कमाने के लिहाज से अपराध की राह पकड़ते हैं।
इस वर्ष के आंकड़े एक नजर
1 जनवरी से 31 मार्च तक – 8 प्रकरण में 9 नाबालिग निरुद्ध
1 अप्रेल से 30 जून तक – 11 प्रकरण में 19 नाबालिग निरुद्ध
1 जुलाई से 30 सितम्बर तक – 14 प्रकरण में 19 नाबालिग निरुद्ध
उम्र से पहले हो रहे बालिग
टॉपिक एक्सपर्ट
वर्तमान दौर में बच्चे उम्र से पहले ही बालिग हो रहे हैं। शारीरिक व मानसिक रूप से जल्दी विकसित बच्चे गलत राह पकड़ लेते हैं। इसमें सोशल मीडिया की भूमिका अहम है। दिन भर इसमें तरह-तरह के संदेश/प्रतिक्रियाओं से कम उम्र के बच्चों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। वे बिना-सोचे समझे किसी के समर्थक अथवा विरोधी बन जाते हैं। हिंसक फिल्में भी अपराध को बढ़ावा दे रही हैं। इसके लिए काउंसलिंग के प्रोग्राम चलाएं और साथ ही हर महीने बच्चों का रिपोर्ट कार्ड बने, ताकि परिवार वाले उस पर ध्यान दे सकें। सबके मिले-जुले प्रयास से ही बच्चों को अपराध की राह पर जाने से रोका जा सकता है।
डॉ. दलजीतसिंह राणावत, मनोरोग चिकित्सक, पाली
बच्चों की मॉनिटरिंग घर के साथ स्कूलों में भी हो
बच्चों की मॉनिटरिंग घर के साथ स्कूलों में भी हो। पेरेंट्स उसकी परेशानियों पर खुलकर बात करें और उन्हें दोस्ती का माहौल दें। अनावश्यक तनाव व दबाव से दूर रखने के साथ बच्चे को आगे बढ़ाने व सही दोस्त का चुनाव करने के लिए मॉटिवेट करें। बच्चे को सही मार्गदर्शन मिले, बेहतर फ्यूचर की ओर उसे प्रेरित करें तो बाल अपराध में काफी कमी आएगी।
डॉ. गगनदीप सिंगला, एसपी, पाली