इसलिए हो रहा आयोजन प्रदेश की निजी स्कूलों में पेरेन्टस-टीचर मीटिंग होती है। सरकारी स्कूलों में भी ऐसी बैठकें होती रही है। लेकिन, बच्चे के होमवर्क से लेकर उसकी पढ़ाई का अधिकतर दायित्व घर की महिला सदस्यों के जिम्मे होता है। शिक्षा विभाग का मानना है कि विद्यार्थी की माता अथवा उसके साथ सर्वाधिक समय व्यतीत करने वाली महिला अभिभावक का जुड़ाव पूर्ण संवेदना एवं जागरूकता के साथ विद्यार्थी की शैक्षिक उपलब्धि एवं अधिगम प्रगति से होता है। इस कारण ये प्रयोग किया जा रहा है। स्कूलों में बैठक की जिला और उपखंड स्तरीय अधिकारी पूरी मॉनिटरिंग करेंगे।
यह होगा एमटीएम में विद्यालय की प्रार्थना सभा में शामिल होकर महिला अभिभावक बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को प्रोत्साहित करेंगी। इसके लिए 25 मिनट का समय निर्धारित है। पारस्परिक संवाद के लिए 1 घंटे की अवधि में विद्यार्थियों के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। अक्टूबर के द्वितीय परख में विद्यार्थियों की उपलब्धि के संबंध में अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी। दो घंटे की अवधि में ठहराव, उपस्थिति एवं विषयवार प्रदर्शन के आधार पर विषयाध्यापकों और कक्षाध्यापकों एवं अभिभावकों के बीच संवाद स्थापित होगा। विद्यालय की एसडीएमसी और एसएमसी के साथ एमटीएम की संयुक्त बैठक में विद्यालय की स्थानीय आवश्यकता के मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। बैठक में संस्था प्रधान शैक्षिक और सह शैक्षिक उपलब्धियों पर चर्चा करेंगे। बोर्ड परिणामों के आधार पर मिली स्टार रैंकिंग बताएंगे।
विद्यार्थी का जुड़ाव महिला अभिभावक के साथ विद्यार्थी का विद्यालय के बाद सर्वाधिक समय माता या महिला अभिभावक के साथ बीतता है। व्यक्तित्व विकास पर भी सर्वाधिक छाप उसकी माता अथवा महिला अभिभावकों के साथ नित्य प्रति होने वाले व्यवहार का ही पड़ती है। इसलिए पाली जिले की 458 स्कूलों में होने वाली इस बैठक में महिला अभिभावकों को बुलाया जा रहा है।
-मोहनलाल जाट, डीईओ, माध्यमिक शिक्षा