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पाली

#SehatSudharoSarkar : जिलेभर के अस्पतालो पर एक नजर …

-जिले में मौसमी बीमारियों का कहर, अस्पतालों में आधी दवा ही उपलब्ध -जिले के अस्पतालों में कम दवाओं से मरीज परेशान, पैसे देकर बाहर से खरीदनी पड़ रही है

पालीSep 16, 2017 / 11:29 am

rajendra denok

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पाली.

जिले में पिछले कई दिनों से लोग मौसमी बीमारी की चपेट में आ रहे है। जिससे जिला मुख्यालय सहित सभी अस्पतालों की ओपीडी दो गुना तक बढ़ गई है। लेकिन, इस बीमारी से ज्यादा दर्द मरीजों को अस्पताल आने से मिल रहा है। डॉक्टरों की कमी से पहले तो मरीजों को अपनी जांच के लिए लम्बी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। इसके बाद अस्पताल में दवा नहीं होने से उन्हें बाहर से पैसे देकर दवा खरीदनी पड़ रही है। सरकार की ओर से चिकित्सालयों में सभी तरह की दवाओं के निशुल्क उपलब्ध करवाने का दवा किया जा रहा है। इस दावें पर कई गरीब श्रेणी के लोग अच्छे डॉक्टर से उपचार व अस्पताल में ही अच्छी दवा निशुल्क दवा की उम्मिद लेकर अस्पताल आते है। लेकिन, अस्पताल पहुंचते ही उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। जिले के ज्यादातर अस्पताल में औसत आधी दवाओं की कमी चल रही है। कई गरीब लोग तो जो दवा अस्पताल में उपलब्ध है। उसी से ही अपना काम चला रहे है।
आधी दवा ही उपलब्ध, वह भी एक ही काउंटर पर

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सोजत.

जिले का दूसरा सबसे बड़ा राजकीय चिकित्सालय सोजत में सरकार के बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का दावा खोखला साबित नजर आता है। अस्पताल में पिछले लम्बे समय से 425 में से मात्र 216 दवा ही उपलब्ध है। वहीं इन दिनों अस्पताल में ओपीडी काफी बढ़ गई। अस्पताल में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा के 4 केंद्र है। लेकिन, इसमें से मात्र एक ही खुला रहता है। इसमें भी मरीजों को आधी अधुरी दवा ही मिल पाती है। पत्रिका द्वारा पड़ताल करने पर पता चला कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा केन्द्र में कई प्रकार की दवाईयां उपलब्ध नहीं है। जिनकों मरीजों द्वारा बाजार से महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। दवा केन्द्र में 7 फार्मेसिस्ट के पद स्वीकृत है। जिनमें से चार पद खाली पड़े है। दवा केन्द्र में कम्प्युटर नहीं होने से भी दवाईयां की उपलब्धता सहित अन्य कार्यो बाधित हो रहे है। क्षैत्र में मौसमी बीमारियों व वायरल बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा होने से मरीजों की भारी भीड़ चिकित्सालय में उमड़ रही है। एक मात्र निशुल्क दवा केन्द्र होने से कक्ष के बाहर मरीजों को लाईने लगानी पड़ रही है।
इनका कहना

– मरीजों को निशुल्क दवाईयां मुहैया करवाई जा रही है जो दवाईयां नहीं है। उनकी डिमांड भिजवा दी है। व्यवस्था सुचारू चल रही है।

– डॉ. योगेश शर्मा, कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सोजत
– चिकित्सालय में लंबे समय से चिकित्सकों व स्टाफ की कमी है। दवाओं की कमी के कारण लोगों को महंगे दामों में दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
– चुन्नीलाल चाड़वास जिलाध्यक्ष कांग्रेस कमेटी।

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प्रतिमाह 100 से ज्यादा प्रसव, दवाओं की कमी

रोहट.

रोहट सीएचसी से आस-पास के लगभग 90 गांव जुडे़ हुए है। लेकिन, सरकारी दावा यहां भी छलावा ही साबित हो रहा है। दवाओं की कमी के चलते यहां आने वाले मरीजों को कई दवाओं को बार से खरीदना पड़ रहा है। अस्पताल में इस दिनों मलेरिया के मरीज भी आ रहे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गंभीर बीमारियों की दवाईया तो उपलब्ध है। लेकिन, हमेशा की जरूरत पडऩे वाली कई दवाईयां आवश्यकता से कम सप्लाई होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रोहट में प्रतिदिन 200 ओपीड़ी है। कुछ दवाईयां यहां पर उपलब्ध तो हो जाती है। लेकिन, महिने के शुरूआत में दस से बारह दिन में ही खत्म हो जाती है। उसके बाद पूरे माह दवाईयां उपलब्ध नहीं रहती है। स्थिति यह है कि कई बार दवाओं की कमी के चलते मरीजों को पाली व जोधपुर के अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है।
यह दवाईयां नहीं उपलब्ध
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में गंभीर बीमारियों की दवाईयां तो फिर भी उपलब्ध है। लेकिन, हमेशा काम आने वाली दवाईयां यहां नही मिल पाती है। इसमें डायक्लोफिन इंजेक्शन, डायक्लोफिन जेल, टीटी इंजेक्शन, प्राइमाक्यूट 750 एमजी, ब्लड पेशर की पांच दवाईयां आती है। उसमें से एक ही उपलब्ध है। शुगर की सात तरह की दवाईयां आती है। उसमें भी एक ही उपलब्ध है। जलने के बाद काम आने वाली दवाई सोफरामेशीन दवाईयां अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं है। मरीजों को बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है।
-:: इनका कहना ::-
– सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में दवाईयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होने से ग्रामीणों को बाहर से खरीदनी पड़ती है। निशुल्क दवा योजना तो है। लेकिन, दवाईयां नही हैं।- अशोक नाहर, ग्रामीण
– अस्पताल में मरीजों के लिए 315 तरह की दवाईयां उपलब्ध है। मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध सभी प्रकार की दवा उपलब्ध करवाई जाती है।
– डॉ. झाबरमल, चिकित्सा प्रभारी, सीएचसी रोहट

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चिकित्सालय में नहीं है बच्चो के वायरल की निशुल्क दवा
– निशुल्क दवा विरतण की खुली पोल

रायपुर मारवाड़.

उपखंड मुख्यालय के राजकीय चिकित्सालय की बात करे तो यहां पिछले एक माह से बच्चो के वायरल की दवा उपलब्ध नहीं है। यहां की चिकित्सक भी अपने कमीशन के चक्कर में मरीजो को बाहर की दवा ज्यादा लिख रहे है। पत्रिका टीम ने शुक्रवार को अस्पताल के हालात देखें। दवा वितरण काउंटर पर जाकर पड़ताल की तो सामने आया कि बच्चों के वायरल की सबसे अहम मानी जाने वाली पेरासिटामोल सीरप का स्टॉक एक माह से खत्म है। इसके अलावा की कई दवाओं का टोटा चल रहा है।
जो दवा है वो बाहर से मंगवा रहे
दवाईओ को लेकर जब कुछ मरीजों से बात की तो हालात चौकाने वाले सामने आए। मरीजो ने बताया कि चिकित्सक अधिकाश दवाइयां बाहर की लिख रहे है। जिनके दाम भी अधिक है। सरकार ने जेनेरिक दवा पर जोर दे रखा है। लेकिन, चिकित्सक अपनी मर्जी मुताबिक महंगी दवा लिख रहे है। जिससे गरीब मरीजों पर वह दवा खरीदना भारी पड़ रहा है। कई दवाइया तो ऐसी भी है जो चिकित्सालय में उपलब्ध है। लेकिन, चिकित्सक बाजार से लाने का दबाव बनाते है।
मरीजो की लग रही कतार
बारिश की आवाजाही व गांव में जमा बरसाती पानी से मौसमी बीमारियां पैर पसार चुकी है। इस चिकित्सालय में रोजाना 200 से भी अधिक मरीज पहुच रहे है।

इनका कहना
– अस्पताल में पर्याप्त दवा नहीं है। मरीजों को समस्या आ रही है। अधिकारी आगे से दवा सप्लाई नहीं होने की बात कह रहे है।

– पिनू कंवर, उपसरपंच रायपुर

आगे से नहीं आ रही
ये बात सही है कि पेरासिटामोल सिरप एक माह से नही है। बच्चो को वायरल में ये उपयोगी है। हमारे पास नही है तो बाजार से लाने की सलाह दे रहे है। चिकित्सको को पांबद कर दिया है वे अब बाजार में मिलने वाली महंगी दवा नही लिखेंगे। जो दवाइया हमारे पास नही है उनके लिए उच्चाधिकारियो को अवगत करा रखा है।
– डॉ. सीपी चौहान, चिकित्सा प्रभारी सीएचसी रायपुर

दवाईयों की घटती संख्या, निजी स्तर पर मरीज कर रहे व्यवस्था

जैतारण.

नगर के राजकीय रेफरल चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी के कारण आऊटडोर पर मरीजों की भीड़ नजर आई। चिकित्सालय मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत निरंतर दवाइयों की संख्या में कमी आ रही है। सूत्रों के अनुसार 2014 में चिकित्सालय में 428 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध थी। लेकिन, अब दवाओं की संख्या 360 रह गई है। और अभी के दिनों में अस्पताल में 330 प्रकार की दवाईया उपलब्ध है। इन दवाओं की कमी के चलते मरीजों को दवा के लिए बाहर के मेडिकल का रास्ता देखना पड़ रहा है।
दो वर्षो मे नहीं आ रही है पट्टीयां
जैतारण चिकित्सालय में पिछले दो वर्षो से पट्टीयां नहीं है। स्थानीय स्तर पर व्यवस्था करके काम चलाया रहा है। वर्ष 2012 के पश्चात जिला मुख्यालय से पट्टीयां नहीं आई है। यह स्टॉक 2015 में खत्म हो गया। लेकिन, अब स्थानीय स्तर पर कई बार मांग करने के बाद नहीं आ रही है।
इन दवाईयों का टोटा
चिकित्सालय में ब्लड प्रेशर, श्वास की तकलीफ, शुगर तथा पेशाब में जलन को रोकने के लिए एल्केलाईजर सीरप, रक्तस्त्राव को रोकने वाली इथामसाईल टेबलेट सहित करीब तीस दवाईयों का स्टॉक खत्म हो गया है।
इनका कहना
– जैतारण अस्पताल में दवाईयों की कमी नहीं है। पट्टीयों की कमी व अन्य कई दवाईयां नहीं होने पर करीब 60 हजार की लागत से विभाग के उच्च अधिकारीयों की एनओसी के बाद खरीदी गई है। कुछ दवाईयां नहीं होने पर हमने मांग भिजवा दी है। दवाईयों की कमी आते ही हम स्थानीय स्तर पर खरीद कर सकते है।
– डॉ.देवेन्द्र सोलंकी, प्रभारी राजकीय रेफरल चिकित्सालय जैतारण

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