किस्सा होटल का
इन दिनों होटल का किस्सा काफी चर्चा में है। हर कोई होटल वालों की शरण में। बातें ज्यादा होने लगी तो खुलकर पगलिया करना बंद कर दिया। एक दिन छोटा-मोटा हल्ला हो गया तो फिर होटल का किस्सा जुबां पर आ गया। किसी ने दो-तीन के नाम उगल दिए, फिर क्या, सब हिल गए। तीन स्टार वाले साहब भागे नाम लेने वाले के पास, बंद कमरे में नया पाठ लिखाया। खूब धमाचौकड़ी मची, डंडा पटक बात ठंडी भी की। अब गलियारों में खुसर-फुसर यह है कि आखिर होटल में ऐसा क्या राज है, जो हर किसी को खींच लेता है। अब यह तो वहां पधारने वाले ही जाने।
इन दिनों होटल का किस्सा काफी चर्चा में है। हर कोई होटल वालों की शरण में। बातें ज्यादा होने लगी तो खुलकर पगलिया करना बंद कर दिया। एक दिन छोटा-मोटा हल्ला हो गया तो फिर होटल का किस्सा जुबां पर आ गया। किसी ने दो-तीन के नाम उगल दिए, फिर क्या, सब हिल गए। तीन स्टार वाले साहब भागे नाम लेने वाले के पास, बंद कमरे में नया पाठ लिखाया। खूब धमाचौकड़ी मची, डंडा पटक बात ठंडी भी की। अब गलियारों में खुसर-फुसर यह है कि आखिर होटल में ऐसा क्या राज है, जो हर किसी को खींच लेता है। अब यह तो वहां पधारने वाले ही जाने।
रुतबे की कुर्सी
इन दिनों ठिकाणों में कइयों की रुतबे की कुर्सी मिली हुई है, इसके आगे किसी की नहीं चल रही है। कागजों में कहीं किसी अन्य ठिकाणे पर हाजिरी बोल रही है और वे कहीं और हाजिरी बजा रहे हैं। ऐसे कई है जो अपनी मर्जी की कुर्सी पर बैठे हैं। एक-दो बार इधर-उधर करने की सुरसुरी भी चली, लेकिन ठिकाणेदारों वाले साहब लोगों ने रोक लिया। समझ किसी के भी नहीं आ रहा है कि ऐसा क्या मोह है इनको रोकने का। खैर, वोट निपट जाए, फिर इस पर डंडा चलेगा। आखिर वहीं जाना पड़ेगा जहां हाजिर बोल रही है।
इन दिनों ठिकाणों में कइयों की रुतबे की कुर्सी मिली हुई है, इसके आगे किसी की नहीं चल रही है। कागजों में कहीं किसी अन्य ठिकाणे पर हाजिरी बोल रही है और वे कहीं और हाजिरी बजा रहे हैं। ऐसे कई है जो अपनी मर्जी की कुर्सी पर बैठे हैं। एक-दो बार इधर-उधर करने की सुरसुरी भी चली, लेकिन ठिकाणेदारों वाले साहब लोगों ने रोक लिया। समझ किसी के भी नहीं आ रहा है कि ऐसा क्या मोह है इनको रोकने का। खैर, वोट निपट जाए, फिर इस पर डंडा चलेगा। आखिर वहीं जाना पड़ेगा जहां हाजिर बोल रही है।