अमरजीतसिंह माखीजा ने बताया कि गुरु गोविन्द्रसिंह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ एक निर्भयी योद्वा, कवि और दार्शनिक भी थे। गुरु गोविन्दसिंह ने खालासा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोविन्दसिंह के जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रुप में मनाया जाता है। इन्होने ही गुरु ग्रन्थ साहिब को पूर्ण किया।
पूजन में झलकी श्रद्धा, गूंजे राजेन्द्र गुरू के जैकारे
खीमेल। गुरू सप्तमी पर सुमतिनाथ मंदिर में गूंजते जैकारों के साथ गुरूदेव राजेन्द्रसूरी के पूजन में श्रद्धा झलकी। भूपेन्द्र मेहता ने बताया कि राजेन्द्र जैन नवयुवक मंडल व त्रिस्तुक जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित गुरू राजेन्द्रसूरी के सप्तमी पर्व पर विधिकारक मोतीलाल के गूंजते वैदिक मंत्रों के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने गुरूदेव की प्रतिमा का अभिषेक कर पूजन किया। इस अवसर पर वरघोडा निकाला गया।
मंदिर में महाआरती कर प्रभावना वितरित की। गुरूदेव सहित भगवान की प्रतिमाओं की आंगी रचना की। गुरू सप्तमी पर्व पर मंदिर आकर्षक फूलों से सजाया गया। इस अवसर पर बसंतीदेवी खीमावत, दिलीप खीमावत, मनिष खीमावत, राजन खीमावत, भावेश खीमावत, पुजारी प्रकाश वैष्णव, ललित वैष्णव सहित श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।