25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

VIDEO : जाने किस कारण से अ​धिवक्ताओं ने कही ये बातें

पत्रिका टॉक शो में बोले अधिवक्ता  

4 min read
Google source verification

पाली

image

Suresh Hemnani

Feb 07, 2024

VIDEO : जाने किस कारण से अ​धिवक्ताओं ने कही ये बातें

पाली में पत्रिका टॉक शो में चर्चा करते अधिवक्ता।

शहरी विकास के साथ ही देश-प्रदेश के मुद्दों को लेकर मंगलवार को पाली के राजस्थान पत्रिका कार्यालय में पत्रिका टॉक शो आयोजित किया गया। इसमें शहर में प्रबुद्ध अधिवक्ता जुटे और शहर विकास के साथ ही बजट से आमजन की आशाओं को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। उन्होंने इस पर भी बल दिया कि युवाओं के लिए शिक्षा तो आमजन के लिए चिकित्सा सुविधा को और ज्यादा बेहतर करने की जरूरत है। चूंकि, पाली अब संभाग मुख्यालय बन चुका है तो उस लिहाज से पाली विकास से काफी पीछे है। विशेषकर कॉमर्शियल कोर्ट व एनडीपीएस कोर्ट की जरूरत पर बल दिया। कारण कि पिछले कुछ समय से इससे जुड़े मामलों में काफी बढ़ोतरी हो गई है।

अधिवक्ताओं को भी मिले पेंशन
पाली संभाग मुख्यालय तो बन गया, लेकिन उस लिहाज से पाली में विकास नजर नहीं आता। वहीं अधिवक्ता एक उम्र के बाद काम नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उनके जीविकोपार्जन के लिए सरकार की ओर से पेंशन की घोषणा की जानी चाहिए। कोर्ट में अलग-अलग प्रकृति के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषकर व्यापार के साथ ही चेक अनादरण के मामले, ऐसे में यहां पर कॉमर्शिलय कोर्ट के साथ ही एनडीपीएस और चेक अनादरण से जुड़े मामलों के निस्तारण के लिए सरकार को ऐसे कोर्ट खोलने की घोषणा करनी चाहिए। जहां तक उज्ज्वला योजना की बात है तो इससे सभी मध्यम तबके के लोगों को राहत देनी चाहिए।
- धीरेन्द्रसिंह राजपुरोहित, बार एसोसिएशन अध्यक्ष, पाली

सेमिनार से दें एमएसएमइ की जानकारी
यदि युवाओं की बात करें तो यहां विश्वविद्यालय की जरूरत है। सरकार को बजट में इसकी घोषणा करनी चाहिए। चूंकि युवाओं को अध्ययन के लिए आगे दूसरे शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। ऐसे में कई युवा तो पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। जहां तक व्यापार की बात है तो जीएसटी और एमएसएमई योजना सरकार की ओर से लागू की गई है लेकिन, सच तो ये है कि कई व्यापारी जीएसटी के साथ ही एमएसएमइ की योजना के पूरे प्रावधानों को ही नहीं जानते। ऐसे में सरकार की ओर से व्यापारियों के लिए ऐसी सेमिनार व कार्यशालाएं आयोजित की जाएं जिससे उन्हें इसके पूरे प्रावधानों की जानकारी मिल सके और उन्हें नुकसान नहीं उठाना पड़े।
- प्रकाश जैन, अधिवक्ता

स्थानीय को मिले टोल से मुक्ति
पाली संभाग मुख्यालय है, लेकिन सुविधाएं बौनी हैं। सरकार को चिकित्सा सुविधाओं को तो पूरा निशुल्क कर देना चाहिए। जहां तक टोल की बात करें तो पाली जिले में कई टोल हैं, जहां से स्थानीय वाहन चालक भी गुजरते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों को राहत देनी चाहिए। चूंकि अधिवक्ताओं को भी पेशी के लिए जिले की कोर्ट में जाना पड़ता है। ऐसे में अधिवक्ताओं के वाहनों को टोल मुक्त कर देना चाहिए। चूंकि सरकार रोड टैक्स भी लेती है और उसके बाद टोल की वसूली। ये तो दोहरा भार है। साथ ही पेट्रोल डीजल पर वेट कम किया जाए तो निसंदेह सामग्री की कीमतों में भी कमी आ जाएगी।
-प्रेमसिंह जाडन, अपर लोक अभियोजक

साैंदर्यीकरण में पाली पिछड़ा
पाली शहर में प्रवेश करने के चार रास्ते हैं, लेकिन सौंदर्यीकरण की कमी खलती है। सबसे बुरे हालात तो सड़कों के हैं। जो भी बाहर से लोग यहां आते हैं, वे यहां से पाली की नकारात्मक छवि लेकर ही जाते हैं। ऐसे में सरकार को पाली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हादसों की बात करें तो कम ही नहीं हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण है जिम्मेदारों की ओर से सख्ती नहीं बरतना है। यातायात व पुलिसकर्मी भी सिर्फ चालान भी काटते हैं तो सीट बेल्ट, हेलमेट नहीं होने के। ओवरस्पीड और ध्वनि प्रदूषण के तो चालान भी नहीं काटते। पुलिसकर्मियों को भी इसके लिए सख्ती बरतनी चाहिए।
-मोहनलाल सीरवी, अधिवक्ता

विकास सिर्फ जयपुर-जोधपुर केन्दि्रत
देखा जाए तो राजस्थान में तो विकास जोधपुर व जयपुर तक केन्दि्रत होकर रह गया है। कोटा में जरूर कुछ विकास हुआ है। सरकार ऐसे कदम उठाए जिससे कि अन्य शहरों का भी विकास और शहरवासियों को राहत मिल सके। तभी राजस्थान का समन्वित विकास हो सकेगा। वैसे तो नगर निकायों के पास बजट की कमी होने से अक्सर विकास अवरुद्ध रहता है। जबकि, गुजरात और उत्तरप्रदेश में नगर निकायों की ओर से बॉण्ड जारी किए जाते हैं, जिससे मिलने वाली राशि से नगर निकाय वहां विकास करवा सकती है। पट्टों की फाइलें भी अटकी रहती हैं। कई बार तो फाइलें गुम हो जाती है। ऐसे में ऐसा पोर्टल बनाया जाए, जिस पर पहले सम्बिन्धत दस्तावेजों की प्रतिलिपियां अपलोड की जाए। अंतिम चरण में मूल प्रतियां मांगी जाए।
-निखिल व्यास, अधिवक्ता

सड़कों की नहीं सुधर रही सूरत
शहर में कोई भी सड़क सही नहीं है। सबसे बुरे हालात तो मंडिया रोड के है। सालों से मंडिया रोड बदहाली में है। कुछ दिन पहले काम शुरू किया गया, लेकिन अब वापस रुका हुआ है। ऐसे में हादसे भी हो रहे हैं। सरकार जब रोड टैक्स ले रही है तो आमजन को अच्छी सड़कें भी मुहैया करानी चाहिए। साथ ही कोलाहट एक्ट में भी कार्रवाई करनी चाहिए।
-प्रदीप चौहान, अधिवक्ता

युवा अधिवक्ताओं को मिले इ बुक्स
उत्तर प्रदेश में युवा अधिवक्ताओं के अध्ययन के लिए सरकार की ओर निशुल्क इ बुक्स मुहैया कराई जाती है, जिससे कि वे योग्य बन सकें। ऐसे में राजस्थान में भी सरकार को युवा अधिवक्ताओं के लिए पांच साल तक इ बुक्स निशुल्क मुहैया करानी चाहिए। जहां तक विकास की बात है तो सड़कें खस्ताहाल हैं। यहां तक कि बांडी नदी पुलिया का निर्माण तो कागजों में ही अटका हुआ है। ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
-दीपक सोनी, अधिवक्ता

मध्यम वर्ग को टैक्स में मिले राहत
राज्य सरकार को मध्यम वर्ग को टैक्स में राहत देनी चाहिए। चूंकि टैक्स का भार होने से मध्यम वर्ग को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। सरकार को विकास के साथ ही रोजगार पर भी ध्यान देना चाहिए। मनरेगा में भी जितना काम, उतना ही पैसा देना चाहिए। सभी को समान मजदूरी दिए जाने से काम ही नहीं हो पा रहा है। इससे बेरोजगारों की संख्या भी बढ़ रही है। विकास की बात करें तो पाली व जोधपुर के बीच डॉमेस्टिक एयरपोर्ट की जरूरत है। जोधपुर में भी सेना का एयरपोर्ट उपयोग में लिया जा रहा है।
-विक्रमसिंह चारण, अधिवक्ता

बिजली को करना चाहिए मुफ्त
सरकार को आवश्यक सेवाएं यथा बिजली, पाली, चिकित्सा और शिक्षा को निशुल्क कर देना चाहिए। आज देश को आजाद हुए इतने साल हो चुके हैं, तब भी पानी के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ रही है। सबसे ज्यादा चिकित्सा सेवाओं की जरूरत है, उसे भी निशुल्क किया जाना चाहिए। तभी आमजन को आजादी का फायदा मिल पाएगा। नहीं तो ऐसा लग रहा है सरकार हर ओर से टैक्स भी वसूल कर रही है और सुविधा शुल्क भी ले रही है।
-लादूराम सीरवी, अधिवक्ता