script1965 के युद्ध में पाक के नापाक मसुंबो को ध्वस्त करने वाले पाली जिलें के प्रथम शहीद वायुसैनिक शंभुराम…. | Shambhuram, the country's first martyr of Airforce | Patrika News
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1965 के युद्ध में पाक के नापाक मसुंबो को ध्वस्त करने वाले पाली जिलें के प्रथम शहीद वायुसैनिक शंभुराम….

पाक से लोहा लेते जामनगर में शहीद हुए थे शंभूराम, न सरकारी स्तर पर उचित दर्जा, न परिजनों को इमदाद

पालीMar 14, 2018 / 12:17 pm

Avinash Kewaliya

shambhuram
पाली। एक तरफ जहां चुनावी साल में समाजों-जातियों के वोटर्स को लुभाने के लिए चौराहों के नामकरण की बंदरबांट चल रही है। वहीं दूसरी तरफ 1965 में पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने में अहम भूमिका निभाकर शहीद हो चुके काला पीपल की ढाणी के शंभूराम को उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया है। रोहट क्षेत्र तो छोडि़ए, पूरे जिले में शंभूराम के नाम से न तो स्कूल है, न कहीं उनकी प्रतिमा लग पाई है। जिले के पहले शहीद वायुसैनिक होने के बावजूद उनकी शहादत के 52 साल बाद सरकार ने उनके परिजनों की सुध ली है, पर अभी कुछ हासिल नहीं हो पाया है।
कौन थे शंभूराम

शम्भूराम का जन्म 22 जुलाई 1945 को हुआ था। अठारह साल की उम्र में ही वे वायुसेना में शामिल हो गए। 1965 के भारत-पाक युद्ध में वे जामनगर (जामनगर) में दुश्मन के हमले में शहीद हो गए थे। वे जिले के प्रथम शहीद वायुसैनिक थे। उस समय उनकी उम्र 20 साल थी। शम्भूराम भादल का शव बीते सालों में कभी उनके परिजनों को नहीं मिल पाया।
ऐसे रहे हालात

बकौल, शंभूराम के भाई वीरेन्द्र चौधरी ‘परिजनों को उचित सम्मान के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा। कई सालों तक परिजनों को 36 रुपए की मामूली पेंशन ही मिली। इसी पेंशन राशि से माता-पिता ने अभावों में संघर्ष कर पांच भाई-बहनों को पाला। जबकि, रक्षा मंत्रालय के 24 फरवरी 1972 के प्रावधान के मुताबिक इंटरनेशनल वॉर 1947-48, 1962, 1965 व 1971 में शहीद हुए सैनिकों को फुल सैलेरी पेंशन देने का प्रावधान था। इस मामले को लेकर न्यायालय की शरण में गए। शहीद स्मारक पर नाम लगवाने के लिए भी लम्बा संघर्ष करना पड़ाÓ।
अब ली सुध, पर मिला कुछ नहीं

52 सालों बाद सरकार ने इस शहीद परिवार की सुध ली। नवम्बर 17 में राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष (राज्यमंत्री) प्रेमसिंह बाजौर शंभूराम के घर काला पीपल की ढाणी पहुंचे। यहां उन्होंने शहीद के नाम से विद्यालय, चौराहे या किसी सड़क के नामकरण के साथ मूर्ति लगाने को आश्वस्त किया था। उन्होंने 99 से पहले शहीद हुए सैनिकों के नाम से अब सरकार द्वारा कुछ कदम उठाने की जानकारी दी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो पाया है।
आदेश की मिल गई है कॉपी

शम्भूराम जिले के प्रथम शहदी वायुसैनिक थे, जिनके परिवारजनों से नवम्बर में राज्यमंत्री प्रतापसिंह बाजवा ने मुलाकात कि थी। हमारे पास उस आदेश की कॉपी भी आ चुकी है, जिसमें 1999 से पहले की लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों के नाम पर विद्यालय का नामाकरण या मूर्ति लगाने का आदेश है। इस आदेश की कॉपी जिला कलक्टर को भेजी गई है।
– कर्नल गजेद्रसिंह राठौड़, अधिकारी, सैनिक कल्याण विभाग, पाली

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