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पाली

जलसंकट: धन लगाकर धरती से निकालेंगे पानी

जल परिवहन का विकल्प भी रखा खुला

पालीMar 17, 2019 / 05:41 pm

Rajkamal Ranjan

water crisis

जलसंकट: धन लगाकर धरती से निकालेंगे पानी

राजीव दवे. पाली। पिछले साल इन्द्रदेव एेसे नाराज हुए कि गर्मी की दस्तक के साथ ही जल के लिए गांवों में त्राहि-त्राहि मचने लगी है। गांवों व शहरों में पानी पहुंचाने का जिम्मा उठाने वाले जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभरने के साथ जल के लिए जुगाड़ करने की कवायद शुरू हो गई है। इसी कवायद का एक परिणाम यह है कि विभाग को ६ करोड़ रुपए ग्रामीण और १७८.१३ लाख रुपए शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति सुचारू रखने के लिए दिए गए है। इस राशि से विभाग कुएं व ट्यूबवेल आदि खुदवाएगा। इसके साथ टूटी पाइप लाइनों को ठीक कर पानी की बचत करने की जुगत करेगा। जबकि लगातार भूजल स्तर घटने पर कुओं व ट्यूबवेलों में पानी कहां से आएगा। इसका जवाब देने के लिए कोई तैयार नहीं है। इधर, जवाई बांध का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। अभी बांध में करीब २२.१५ फीट गेज के साथ १३७७.९५ फीट पानी शेष है। यह पानी समाप्त होने पर विभाग को डेड स्टोरेज से पानी पम्प करना पड़ेगा।
परिवहन पर खर्च करेंगे बड़ी राशि
जलदाय विभाग ने रोहट के इन अभावग्रस्त गांवों के साथ ही अधिक पेयजल संकट वाले गांवों में जलापूर्ति के लिए टैंकरों के माध्यम से जल परिवहन करने की योजना भी तैयार की है। अभावग्रस्त गांवों के लिए ९२.८० लाख रुपए तो जिल के अन्य संकट वाले गांवों के लिए ६६.३६ लाख रुपए पानी परिवहन करने के लिए स्वीकृत किए गए है। जबकि शहरी क्षेत्र में जल परिवहन के लिए ३१ लाख रुपए अलग से
दिए गए है।
नहीं आएगा संकट
जवाई बांध में अभी जून तक का पानी शेष है। इसके बाद डेड स्टोरेज से पम्पिंग करने पर भी २०-२५ दिन जलापूर्ति की जा सकेगी। वहीं गांवों में संकट आने पर ट्यूबवेल व कुएं खोदकर जलापूर्ति कराई जाएगी। इसके लिए राशि भी स्वीकृत हो गई है।
नीरज माथुर, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पाली
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