एक गांव एेसा जिसका नाम लेते ही रिश्तो में आने लगती है दरार…
यहां भी सकारात्मक पहल की जरूरत सालों से हथकढ़ी शराब बनाने के धंधे से जुड़े सांसी बस्ती के लोग आज मजदूरी, टेक्सी चलाकर अपना घर चला रहा है। ऐसे में यदि मूलियावास की साटिया बस्ती में पुलिस व प्रशासन मिलकर सकारात्मक पहल करे तो यहां की तस्वीर भी बदल सकती है।
यहां भी सकारात्मक पहल की जरूरत सालों से हथकढ़ी शराब बनाने के धंधे से जुड़े सांसी बस्ती के लोग आज मजदूरी, टेक्सी चलाकर अपना घर चला रहा है। ऐसे में यदि मूलियावास की साटिया बस्ती में पुलिस व प्रशासन मिलकर सकारात्मक पहल करे तो यहां की तस्वीर भी बदल सकती है।
समझाइश का पड़ा सकारात्मक असर प्रशासन की सख्ती के बाद बस्ती के अधिकतर लोगों ने हथकढ़़ी शराब बनाना छोड़ दिया। लेकिन कुछ लोगों ने बाद में फिर से शुरू कर दिया। इस पर उनसे समझाइश कर यह धंधा छुड़वाया। नवजीवन योजना के तहत रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिलवाने व बैंकों से ऋण दिलवाने में सहायता की। नवजीवन योजना के तहत बस्ती के बच्चे भी निजी स्कूलों में पढ़ रहे है। इससे बस्ती के माथे पर लगा कलंक मिट गया।
– चीकूराम, नया गांव सांसी बस्ती
– चीकूराम, नया गांव सांसी बस्ती
बदनाम बस्ती के आधे से ज्यादा युवा कुंवारे इधर, मूलियावास में लड़कियों को किया भूमिगत मूलियावास गांव के निकट स्थित साटिया बस्ती में 40-50 युवतियां है। जो देह व्यापार जैसा गंदा काम कर रही है। राजस्थान पत्रिका द्वारा मामला उजागर करने के बाद उनके परिवार के लोगों ने उन्हें रिश्तदारों के यहां भेज दिया है। ऐसे में शुक्रवार को इस बस्ती के अधिकतर घर सूने रहे।