शंभूसिंह रावत पिपलिया कलां फैक्ट्री में काम करता है। बहन विनोद 50 किलोमीटर दूर ब्यावर रहती थी। भाई ब्यावर नहीं पहुंच पा रहा था तो बहन स्कूटी लेकर भाई के पास पहुंच गई। बहन के राखी बांधने के बाद से ही शंभूसिंह बड़ा खुश होकर फिर से फैक्ट्री में काम पर लग गया। ठीक एक घंटे बाद जब उसके मोबाइल पर बहन के मौत की खबर आई तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
अब सूनी रहेगी कलाई
शंभूसिंह की चचेरी बहन थी विनोद। सगी बहन नहीं होने के कारण हर साल वही राखी बांधने आती थी। सडक़ हादसे से शंभू को गहरा सदमा लगा। उसे यह भी पीड़ा है कि उसकी कलाई अब सूनी रहेगी। बहन की दर्दनाक मौत के बाद उसके परिवार में गमगीन माहौल है।
शंभूसिंह की चचेरी बहन थी विनोद। सगी बहन नहीं होने के कारण हर साल वही राखी बांधने आती थी। सडक़ हादसे से शंभू को गहरा सदमा लगा। उसे यह भी पीड़ा है कि उसकी कलाई अब सूनी रहेगी। बहन की दर्दनाक मौत के बाद उसके परिवार में गमगीन माहौल है।
मोर्चरी के बाहर बिलखता रहा भाई
शंभूसिंह फैक्ट्री में ही फफक पड़ा। उसे फैक्ट्री मालिक पंकज पी शाह ने सांत्वना दी। सहयोगी उसे लेकर बर पीएचसी मोर्चरी पहुंचे। बहन का शव शत-विक्षत हो चुका था, जिससे शंभूसिंह को बहन का चेहरा नहीं दिखाया गया। वह मोर्चरी के बाहर बैठा अपनी कलई पर बहना द्वारा बांधी राखी देख बिलखता रहा। थानाधिकारी प्रेमाराम विश्नोई, कानसिंह इंदा, रफीक बसेरा सहित अन्य लोगों ने शंभुसिंह को सांत्वना दी। इस बीच वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गई।
शंभूसिंह फैक्ट्री में ही फफक पड़ा। उसे फैक्ट्री मालिक पंकज पी शाह ने सांत्वना दी। सहयोगी उसे लेकर बर पीएचसी मोर्चरी पहुंचे। बहन का शव शत-विक्षत हो चुका था, जिससे शंभूसिंह को बहन का चेहरा नहीं दिखाया गया। वह मोर्चरी के बाहर बैठा अपनी कलई पर बहना द्वारा बांधी राखी देख बिलखता रहा। थानाधिकारी प्रेमाराम विश्नोई, कानसिंह इंदा, रफीक बसेरा सहित अन्य लोगों ने शंभुसिंह को सांत्वना दी। इस बीच वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गई।