यातायात और परिवहन विभाग के गठजोड़ से स्कूल वाहनों का मनमानीपूर्वक संचालन किया जा रहा है। बीते साल शिक्षा सत्र के प्रारंभ से निर्देश होने के बाद भी अभी तक स्कूल वाहनों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लग पाए हैं। स्कूल वाहनों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है। सैकड़ों बच्चों की जान जोखिम में डाली जा रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग के लोगों को इसकी परवाह नहीं है।
शहर के करीब आधा दर्जन बड़े स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने वाले करीब दो दर्जन वाहनों में बच्चों को क्षमता से कई गुना अधिक बैठाया गया है। अधिकतम चार लोगों को बैठाने की क्षमता वाले तीन पहिया ऑटो में 10-12 बैठे थे। इसी प्रकार मैजिक वाहनों में भी 15 से 20 को बैठाया गया था।
सेफ्टी बेल्ट न फस्र्ट एड बॉक्स केंद्रीय विद्यालय, लिस्यु आनंद हायर सेकंडरी, डायमंड पब्लिक, रॉयल पब्लिक, महर्षि विद्या मंदिर सहित करीब आधा दर्जन स्कूलों के वाहनों को देखने के बाद पाया गया कि किसी भी वाहन में बच्चों को बांधने के लिए सीट बेल्ट की सुविधा नहीं थी। वाहनों में फस्र्ट एड बॉक्स भी नहीं मिले।
फायर सेफ्टी सिलेंडर भी ज्यादातर तीन और चार पहिया वाहनों में नहीं थे। ज्यादातर ऑटो में स्कूलों के संपर्क नंबर तक नहीं लिखे थे। इन वाहनों का बच्चों को लाने और ले जाने के लिए वाहनों का स्कूल प्रबंधन से किसी प्रकार का अनुबंध नहीं था और न ही यातायात विभाग से। इन वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे पाए गए।
वाहन चालकों का नहीं पुलिस वेरीफिकेशन गुडग़ांव के एक स्कूल में बीते साल बच्चे की हत्या के बाद भी जिले में जिम्मेदारों ने सीख नहीं ली। यहां तक कि स्कूल वाहनों में महिला स्टाफ को रखना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बाद भी यहां बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी को चिंता नहीं है। स्कूल बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा अपने गेट के अंदर तक का ही ले रहे हैं।
जब तक रिपोर्ट नहीं हो रही पुलिस कार्रवाई नहीं करती। जिम्मेदारी निभाने के नाम पर औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। किसी को भी बच्चों की सुरक्षा की ङ्क्षचता नहीं है। यातायात थाना प्रभारी ज्योति दुबे का कहना है कि सिर्फ महर्षि स्कूल के पास दो बसें हैं। उन्हें एकबार चेक किया था। कैमरे लगे हैं। महिला कर्मचारी जरूर नहीं हैं। स्कूल वाहनों में ओवरलोडिंग तो हो रही है। त्यौहार अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।