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पन्ना

पन्ना जिले में सवा लाख से अधिक लोगों के बने जॉब कार्ड, रोजगार मिला महज 127 परिवार को, रोजी-रोटी के लिए कर रहे पलायन

खजुराहो रेलवे स्टेशन और महानगरों को जाने वाली बसों में उमड़ते हैं पलायन करने वाले लोग

पन्नाSep 21, 2019 / 06:25 pm

Anil singh kushwah

Job cards made of more than 1.25 lakh people in Panna district

Job cards made of more than 1.25 lakh people in Panna district

पन्ना. हरियाणा के झज्जर में पन्ना जिले के पांच लोगों की हत्या ने ध्यान देश-प्रदेश में सभी का ध्यान खींचा। लेकिन, मूल वजह पलायन पर ध्यान किसी का नहीं गया। ये वो सच है, जिसे कोई स्वीकार करना नहीं चाहता है। जो मजदूर झज्जर में मारे गए, वो परिवार सहित पांच साल पहले पलायन कर गए थे। जहां रहकर रोजी-रोटी की तलाश कर रहे थे। कहने को जिले में मनरेगा संचालित है। लेकिन, इसकी हकीकत भी किसी ने नहीं छुपी। पन्ना जिले में सवा लाख लोगों के मनरेगा के जॉब कार्ड बने हैं, लेकिन रोजगार मात्र १२७ परिवारों को उपलब्ध कराया जा सका। ऐसे में पलायन रोकने की उम्मीद करना बेमानी है। सच्चाई को नकारने का असर है कि जिले में जरूरतमंदों के लिए हालात दिनोंदिन बदतर होते जा रहे हैं। पलायन उनकी बेबसी है, जिसे स्वीकारना होगा।
जिले से पलायन करने वालों की कहीं नहीं होता है रिकॉर्ड

गौरतलब है कि पन्ना रेल सुविधा विहीन होने के साथ ही उद्योग विहीन जिला है। एक भी वृहद उद्यम नहीं हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलता। लोगों को काम की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। पलायन करने वालों का जिला प्रशासन और पंचायतों में न किसी प्रकार का रिकॉर्ड होता है और ना ही उनका किसी प्रकार का बीमा होता है। कार्य स्थल में किसी प्रकार के हादसे की जिम्मेदार वहां के ठेकेदार और प्रशासन नहीं लेते हैं।
कई लोगों के शव ही लौटकर वापस आए
जिले से पलायन करने वाले लोगों का प्रशासन किसी तरह का रिकॉर्ड नहीं रखता और ना ही उन्हें किसी प्रकार का सुरक्षा कवच ही प्रदान करता है। इससे कार्यस्थल पर किसी प्रकार की अपराधिक गतिविधि का शिकार होने, काम के दौरान हादसा होने जैसी किसी भी स्थिति से उन्हें अपने बलबूते पर ही निपटना होता है। बाहरी शहरों में मजबूर व्यक्ति कुछ भी नहीं कर पाते हैं। हरियाणा के झज्जर में पांच लोगों की हत्या की घटना के पूर्व भी इसी तरह कई लोगों के शव यहां पहुंच चुके हैं तो कुछ मरणासन्न हालत में यहां पहुंचे। जिनके संबंध में कोई जिम्मेदार कुछ नहीं बोलता है।
पलायन करने वालों का रिकॉर्ड नहीं
जिला प्रशासन के पास ऐसा कहीं रिकॉर्ड नहीं होता है जिसमें यह दर्ज हो कि जिले से कितने लोग पलायन करके गए और उनमें से कितने लोग सुरक्षित तरीके से वापस लौट आए। प्रशासन के अधिकारियों के इस लापरवाही की सजा गरीब पलायन करने वाले मजदूर भुगत रहे हैं। पूर्व में मीडिया और एनजीओ के लोगों के दबाव में तत्कालीन कलेक्टर ने हर ग्राम पंचायत में पलायन पंजी रखने और पंचायत क्षेत्र से पलायन करने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए गए थे। जिनपर बिल्कुल भी अमल नहीं हुआ।
मनरेगा में नहीं मिला 100 दिन का काम
जिले में लोगों को मनरेगा में काम नहीं मिल पा रहा है। मनरेगा के अनुसार जिले में १ लाख २८ हजार ५२० लोगों को जॉब कार्डजारी किए गए हैं। इनमें से 43 हजार 844 परिवारों द्वारा काम की मांग की गई। मनरेगा एक्ट हर परिवार को 100 दिन के काम की गारंटी देता है, लेकिन जिले के 1 लाख 28 हजार से अधिक जॉब कार्डधारी परिवारों में से सिर्फ 127 परिवारों को ही 100 दिन का काम मिल पाया। यह कुल ज्ॉाब कार्डधारियों का एक फीसदी से भी बहुत कम है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बेरोजगारी का स्तर क्या होगा। जिनको काम भी मिला उनमें से कई लोगों को समय पर मजदूरी नहीं मिल पाती है। इसका कारण है कि जिले में मनरेगा का हर समय एक करोड़ से भी अधिक मजदूरी का भुगतान रिजेक्ट ट्रांजेक्शन में फंसा रहता है।
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