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पत्थर-फर्शी खदानों में रातभर बेखौफ चल रहीं जेसीबी, कारोबारियों को अभयदान, जानिए पूरा मामला

पत्थर-फर्शी खदानों में रातभर बेखौफ चल रहीं जेसीबी, कारोबारियों को अभयदान, जानिए पूरा मामला

पन्नाFeb 20, 2019 / 11:02 pm

Bajrangi rathore

minning news in pannna district

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पन्ना। मप्र के पन्ना जिले के पवई, कल्दा और सलेहा क्षेत्र में चल रहीं अवैध पत्थर खदानों को लेकर अभी तक संयुक्त विभागीय टीमों की कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। पवई में वन व राजस्व विभाग की टीमें अलग-अलग कार्रवाई कर रही हैं, जबकि मोहंद्रा रेंज में वन विभाग की टीम कार्रवाई कर रही है।
सलेहा व कल्दा क्षेत्र में भी दर्जनों की संख्या में अवैध खदानों का संचालन होने के बाद भी यहां वन, राजस्व व खनिज विभाग कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। कारोबारी खदानों में रात को जेसीबी मशीनों का उपयोग बेखौफ कर रहे हैं। गौरतलब है कि जिले में सबसे अधिक पत्थर खदानें पवई, कल्दा और सलेहा क्षेत्रों में हैं। यहां बड़ी संख्या में अवैध खदानों का संचालन किया जाता है।
सलेहा क्षेत्र में उचेहरी, कुटमी, बछौन, खिरवा, जैतूपुरा, हरदुआ, पिपरहा, वीजादह, दिया, सिंगड़ा, ककरी सहित आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में खदानों का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है। इन खदानों में रात को जेसीबी का भी उपयोग किया जाता है, जिसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी होती है, इसके बाद भी मामले में कार्रवाई नहीं की जाती है।
पवई-सलेहा में कार्रवाई

अवैध फर्शी पत्थर खदानों को लेकर पवई और मोहंद्रा रेंज में वन अमले द्वारा बीते करीब एक सप्ताह से लगातार कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यह कार्रवाई कल्दा और सलेहा क्षेत्र की अवैध पत्थर खदानों में नहीं हो रही है, जबकि सबसे ज्यादा अवैध खदानें कल्दा क्षेत्र में ही हैं।
पवई क्षेत्र में चल रही कार्रवाई को लेकर अब तक 15-20 लाख कीमत के फर्शी पत्थर नष्ट किए जा चुके हैं। वहां अभी भी कार्रवाई बंद नहीं हुई है, जबकि सलेहा-कल्दा क्षेत्र में अभी तक कार्रवाई शुरू भी नहीं हो पाई है। कार्रवाई नहीं होने से अवैध कारोबार में लगे लोगों के हौसले बुलंद हैं। एसडीओ कल्दा हेमंत यादव के अनुसार सलेहा, कल्दा क्षेत्र में कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण कार्रवाई के दौरान बड़ी दिक्कत होती है।
पूर्व में कई बार कार्रवाई की गई है। पत्थर भी नष्ट किए गए हैं। रात में मिलने वाले वीडियों में स्थान का पता नहीं चल पाता है इससे कार्रवाई करने में परेशानी होती है। वन क्षेत्र में तो कहीं खदानें नहीं चल रही हैं। जंगल से लगे राजस्व क्षेत्र में चल रही खदानों की जानकारी मिलने पर कार्रवाई की जाती है।
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