इसको लेकर जहां एक ओर किसान परेशान हैं वहीं दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा फसलों को पाला से बचाने के उपाए बताए गए हैं। गौरतलब है कि 5 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर फसलों में पाला लगने की आशंका बढ़ जाती है। जिले में बीते करीब एक पखवाड़े से पारा 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना है।
चने को इल्ली से बचाने के बताए उपाए उप संचालक कृषि एपी सुमन ने कहा, जब मौसम में बदलाव होते हैं तब चने की फसल में इल्ली का प्रकोप होता है। जिससे उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत की कमी आ जाती है। किसानों को चने के खेतों में टी आकार की लकडिय़ां 20 से 25 प्रति हेक्टेयर के मान से गाड़ देना चाहिए। जिससे कीटभक्षी पक्षी उन पर बैठकर इल्लियों को खा जाएंगी।
चने की खेती में प्रति लीटर 5 एमएल नीम का तेल मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। बेबरिया बेसियाना 400 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। जिससे इल्ली से फसल को बचाया जा सके। इसके अलावा प्रोफिनोसाइपर दवा 2 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
इल्लियों की अवस्था बड़ी होने पर इन्डोक्साकार्ब दवा एक एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डॉ. बीएस किरार, डीपी सिंह ने तापमान से फसलों में पाला पडऩे की आशंका जताई है। पाला से मुख्य रूप से अरहर, चना, मसूर सरसों, टमाटर मिर्च, आलू, सेम, पपीता, आम, केला आदि फसलों को पाला से काफी नुकसान पहुंचता है।
सर्दियों में जब तापमान शून्य (हिमांक) पर पहुंच रहा है। उस समय पाला पड़ता है, और पाला पडऩे की सम्भावना उस समय और बढ़ जाती है, जब दिन में ठंड हो और शाम को हवा चलना बन्द हो जाये तथा रात्रि में आकाश साफ हो, ऐसी स्थिति में पाला पड़ता है शीतलहर का भी फसलों पर हानिकारिक प्रभाव पड़ता है।