सभी पांच सीटों पर मुकाबला रोचक है। इनमें कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। कटिहार, किशनगंज और पूर्णियां में कांग्रेस के ही उम्मीदवार है। कांग्रेस ने कटिहार में तारिक अनवर, पूर्णियां में उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह और किशनगंज में मोहम्मद जा़वेद को उम्मीदवार बनाकर मैदान में लड़ाई के लिए उतारा है।
पूर्णियां जदयू की सीटिंग सीट है, जहां जदयू के संतोष कुशवाहा की टक्कर पुराने ही उम्मीदवार उदय उर्फ पप्पू सिंह से रही है, पर सिंह ने इस बार पार्टी बदल ली और कांग्रेस से मैदान में उतर गए हैं। वह पिछली बार भाजपा के बैनर तले लड़े थे। दूसरे चरण में जदयू का चार सीटिंग सांसदों से ही मुकाबला हो रहा है। किशनगंज में असुदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन(एम आई एम) ने आरजेडी के कोचाधवन से पूर्व विधायक अख्तरुल ईमान को उम्मीदवार बनाया है, जो आरजेडी छोड़ 2014 में जदयू में आए और अभी एमआइएम के उम्मीदवार के बतौर मैदान में डटे हैं। सत्तर फीसदी मुस्लिम मतदाताओं के इस क्षेत्र में चुनाव मैदान में उतरकर ओवैसी सैयद शहाबुद्दीन और अशरारूल हक़ जैसे मुस्लिम नेताओं के निधन के बाद हुए स्थान को भरने की कोशिश में हैं। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने उनके प्रत्याशी को नज़रअंदाज़ कर दिया था। जदयू के महमूद अशरफ के मुकाबिल कांग्रेस डॉ जावेद को हर तरह से दुरुस्त कर संसद पहुंचाने की तैयारी में खपी हुई है।
कटिहार में चार बार सांसद रह चुके तारिक अनवर इस बार कांग्रेस से मैदान मारने की जंग जदयू से ही लड़ रहे हैं। जदयू ने भाजपा से उसकी यह परंपरागत सीट ले ली और दुलालचंद गोस्वामी पर दांव लगा दिया जो भाजपा की सदस्यता छोड़ जदयू में आए और इस बार विधानसभा चुनाव भी हार गए। गोस्वामी नीतीश के चहेतों में एक पर भाजपा के संघी काडर भी हैं। यादव, मुस्लिम और भूमिहार, वैश्य बहुल इस क्षेत्र में भाजपा का काडर सीट शेयरिंग में जदयू के हाथ लग जाने से उदासीन भी कम नहीं हैं। इसका असर कम करने की कोशिशें भाजपा भरपूर करने में जुटी है।
बांका में आरजेडी के सिटिंग एमपी जयप्रकाश नारायण यादव को जदयू के गिरिधारी यादव और भाजपा से बगावत कर मैदान में निर्दलीय ही उतरी दिवंगत नेता दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल कुमारी का सामना करना पड़ रहा है। पुतुल कुमारी चुनावी जंग को तिकोनी बनाने में कामयाब हुई हैं। पुतुल कुमारी का टिकट तय था पर जदयू ने यह सीट भाजपा से झटक ली। अब अग्निपरीक्षा में कौन सोने की माफिक खरा होकर निकल पाता है, यह मतदान के बाद ही सामने आ सकेगा। अग्निपरीक्षा इस बात की भी है कि सीमांचल के इन मुस्लिम यादव बहुल क्षेत्रों में जदयू किस हद तक कामयाबी का परचम लहरा पाता है। जदयू के लालसे की आग में भाजपा ने सीमांचल की राहें सहज़ करने की जुगत तो लगा ली, अब देखना यही बाकी है कि एनडीए सीमांचल में कितनी धाक और धमक दिखा पाता है।