मैं हूं ना, बिहार मत छोडि़ए…
पटना में बढ़ते अपराध
बिहार की कुख्याति किसी से छिपी नहीं है, लेकिन सरकारों ने भी अपराध को बहुत गंभीरता से कभी नहीं लिया। अपराधियों का चुनाव लडऩा और जीतना यहां कोई नई बात नहीं रही है। दबंगों की जमीन पर अपराध को रोकना आसान नहीं रहा है, क्योंकि हर पार्टी अपराध को प्रश्रय देने वाले नेताओं को भी प्र्रश्रय देती है।
इसका नतीजा है कि राज्य की राजधानी पटना संज्ञेय अपराध के मामले में भी सबसे आगे हैं। वर्ष 2017 में यहां 26627 अपराध दर्ज हुए थे। यहां इसी वर्ष 266 हत्या और 59 डकैतियां डली थीं, इसके अलावा चोरी में भी पटना सबसे आगे था। वर्ष 2017 में कुल 4926 चोरियां पटना में हुई थीं। स्वयं बिहार पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि विगत दस वर्ष में पटना में अपराध में ढाई गुना के करीब बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में भी अपराध के मामले में बिहार की रफ्तार कायम है।
सडक़ों पर रोज लूटमार, जहां सडक़ पर निकलते डरते हैं लोग
कौन जिले अपराध में सबसे आगे?
पटना, गया, मोतीहारी, मुजफ्फरपुर, सारन, वैशाली, रोहतास, नालंदा, सीतामढ़ी अपराध के मामले में आगे हैं। ये जिले संज्ञेय अपराध की संख्या, हत्या, डकैती और चोरी के मामले में भी बिहार में आगे हैं। अपराध में गया दूसरे स्थान पर है, तो मोतीहारी तीसरे स्थान पर। मुजफ्फरपुर और सारन में भी स्थितियां चिंताजनक हैं और अपराध में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कैसे आएंगे निवेशक और उद्योग?
अपराध और अपराधी आधुनिक बिहार की एक पहचान बने हुए हैं। यह एक ऐसा मोर्चा है, जहां बिहार की सरकार और पुलिस का काम कतई प्रशंसनीय नहीं है। यहां शासन या नेताओं का एक ही लक्ष्य होता है किसी तरह से सत्ता प्राप्त करना। सत्ता पाने से पहले भी अपराधियों की मदद लेने में पीछे नहीं रहते और सत्ता में आने के बाद भी अपराधियों से परहेज नहीं करते हैं। जो पार्टी सत्ता में भागीदार रहती है, उसे अपराध नहीं दिखते। विपक्ष में आते ही अपराध दिखने लगते हैं, वह भी केवल लोगों को दिखाने के लिए।