उपेन्द्र कुशवाहा को क्यों नहीं मिल रहा भाव?
चरवाहा मॉडल बनाम नालंदा मॉडल
लालू प्रसाद यादव शिक्षा सुधार के लिए विद्यालय का चरवाहा मॉडल लेकर आए थे, जो नाकाम रहा। अब नीतीश कुमार के नालंदा मॉडल की बात हो रही है, लेकिन जिस तरह के शिक्षकों को रखा जा रहा है, उससे यह नया मॉडल भी फेल हो जाएगा। शिक्षकों की भर्तियों में घोर जातिवाद, भाई भतीजावाद और रसूख की भूमिका रही है, जिसकी वजह से शिक्षकों की गुणवत्ता बिहार में बहुत खराब हो चुकी है।
क्या यहां नहीं होती अच्छी पढ़ाई?
आईएएस और आईपीएस की नौकरी में बिहार के युवा बड़ी संख्या में चुने जाते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इनमें से ज्यादातर युवा बाहर जाकर पढ़ते हैं, तभी कामयाब होते हैं। हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि अच्छी नौकरी में बिहार के युवाओं की संख्या अब घट रही है। इसके लिए मुख्य रूप से बिहार की खराब शिक्षा व्यवस्था जिम्मेदार है।
बिहार में साक्षरता प्रतिशत
वर्ष 1951 – 13.49
वर्ष 1981 – 32.32
वर्ष 2001 – 47.53
वर्ष 2011 – 63.8
वर्ष 2018 – 71 (अनुमानित)