केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि हुई निश्चित, 5 दिन की यात्रा कर बाबा पहुंचेंगे अपने धाम

महाशिवरात्रि 2022 के अवसर पर हक हकूकधारी, वेदपाठी, मंदिर समिति के पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहित की मौजूदगी में पंचांग गणना के अनुसार तिथि की घोषणा की गई।

<p>kedarnath door open date year 2022</p>

भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 2021 में भैयादूज पर यानि शनिवार,6 नवंबर को बंद कर दिये गए थे। इसके बाद महाशिवरात्रि 2022 के अवसर पर जागृत महादेव यानि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख निश्चित कर दी गई है। इसके तहत केदारनाथ के कपाट 6 मई 2022 को सुबह 6.25 पर अमृत बेला में खुलेंगे।

इस दौरान ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से बाबा केदार की डोली 2 मई को केदार धाम के लिए प्रस्थान करेगी। ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पौराणिक परंपराओं के अनुसार शिवरात्रि के पर्व पर केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि वैदिक पूजा अर्चना के साथ ही पारंपरिक रीति रिवाज के तहत घोषित की गई।

केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग, धर्माधिकारी ओमकारेश्वर शुक्ला, पुजारी व वेदपाठीयों द्वारा पंचांग गणना के बाद कपाट खुलने की तिथि व मुहूर्त निश्चित किया गया है। वहीं सामने आ रही जानकारी के अनुसार, इस साल केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी एमटी गंगाधर-लिंग होंगे।

इससे पहले शीतकाल में केदारनाथ के कपाट करने पर बाबा केदार की डोली शीतकालीन मुख्य गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर,ऊखीमठ लाई गई। इस दौरान यहां बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली के दर्शन किए गए और यहीं इन छह महीनों के दौरान बाबा केदार की पूजा-अर्चना की जाती है।

ज्ञात हो कि हर वर्ष केदारनाथ धाम के कपाट खुलने और बंद होने की तारीख तय की जाती है। धाम के कपाट खोलने की तारीख तय होने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2022 की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं।

इस दिन रवाना होगी बाबा की डोली
दरअसल छह महीने शीतकाल के लिए कपाट बंद रहने के बाद अब इन्हें केदारनाथ के धाम को खोलने की तिथि तय कर दी गई है। इसके तहत 2 मई को ओंकारेश्वर मंदिर से बाबा की डोली धाम के लिए रवाना होगी। जो 2 मई को गुप्तकाशी, 3 मई को फाटा, 4 मई को गौरीकुंड में रात्रि विश्राम के पश्चात 5 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी। इसके बाद 6 मई को सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले दिए जाएंगे।

हक हकूकधारी, वेदपाठी, मंदिर समिति के पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहित की मौजूदगी में पंचांग गणना के अनुसार तिथि की घोषणा की गई।

 

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