किस्से चिट्ठी के…सूचना का एक मात्र जरिया था खत, डाकिया की एक आवाज पर दौड़े चले आते थे लोग
किसी चीज से नहीं हो सकती चिट्ठियों की भरपाईहाजी रियाज अहमद कहते हैं कि मोबाइल ने बेशक हाथ की लिखी चिट्ठियों की जगह लेने की कोशिश की है, लेकिन ये सच है कि चिट्ठी की जगह की भरपाई किसी चीज से नहीं की जा सकती। चिट्ठी में लिखा भाव कलम से नहीं बल्कि दिल से लिखा जाता है जो पढ़ने वाले के दिलोदिमाग में उतर जाता है।
किस्से चिट्ठी के… लोग बेसब्री से करते थे चिट्ठी का इंतजार, दरवाजा खटकते ही समझ जाते थे डाकिया आया है…
नेताजी मुलायम सिंह यादव चिट्ठी से ही देते हैं सूचनासपा नेता कहते हैं कि नेताजी मुलायम सिंह यादव ने जब कभी भी मुझे पार्टी में पदाधिकारी बनाया तो फोन नहीं किया बल्कि चिट्ठी के माध्यम से सूचना दी। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए वे आज भी तमाम मौकों पर कार्यकर्ताओं को चिट्ठी भेजते हैं। हाजी रियाज अहमद का कहना है वे जब ईद, बकरीद, होली, दीवाली, 26 जनवरी और 15 अगस्त को कार्यकर्ताओं को मैसेज की जगह मुबारकबाद की चिट्ठी भेजते हैं तो कार्यकर्ता उसे जेब में रखकर पूरे गांव में दिखाते हैं। उन्हें लगता है कि चिट्ठी के जरिए उन्हें अपनापन भेजा गया है। उन्होंने कहा कि चिट्ठी से जो प्रेमभाव बनता है वो कभी मैसेज से नहीं बन सकता है। इसलिए वे आज भी चिट्ठियां भेजते हैं।