scriptकिस्से चिट्ठी के… जज्बातों को मीलों सफर कराती थीं, पढ़ने वाले के दिल में उतर जाती थीं चिट्ठियां | untold stories of letter in old days by SP Leader Haji Riaz Ahmed | Patrika News
पीलीभीत

किस्से चिट्ठी के… जज्बातों को मीलों सफर कराती थीं, पढ़ने वाले के दिल में उतर जाती थीं चिट्ठियां

 
पत्रिका की विशेष सीरीज ‘किस्से चिट्ठी के’ में सपा नेता हाजी रियाज अहमद से जानिए चिट्ठियों की अहमियत व रोचक किस्से।

पीलीभीतDec 06, 2019 / 03:47 pm

suchita mishra

letter writing day

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पीलीभीत। खतों के जरिए कभी मीलों सफर तय करके जज्बात लोगों तक पहुंच जाया करते थे और आज दिनभर बात करके भी आपस में दिल नहीं मिल पाते। उस दौर में संचार का माध्यम सिर्फ चिट्ठियां हुआ करती थीं। डाकिया की आवाज सुनकर ही लोग खुशी से दरवाजे की ओर दौड़ पड़ते थे। खुशी की बात हो तो डाकिए का मुंह मीठा कराते थे।
चिट्ठी लिखने वाले का अंदाज भी इतना खूबसूरत होता था, मानो हर शब्द कलम को शहद में डुबोकर लिखा गया हो। आदर और सम्मान का विशेष खयाल रखा जाता था। चिट्ठियों का दायरा सिर्फ यहीं तक नहीं था। दफ्तर के तमाम काम भी पत्राचार के जरिए हुआ करते थे, वहीं सेना के जवान भी घर की खैरियत चिट्ठियों के जरिए ही पूछा करते थे। लेकिन अब चिट्ठियां सिर्फ हमारी यादों में बसती हैं। 7 दिसंबर को letter writing day के मौके पर पत्रिका की विशेष सीरीज ‘किस्से चिट्ठी के’ में सपा नेता हाजी रियाज अहमद से जानिए चिट्ठियों की अहमियत व रोचक किस्से।
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किसी चीज से नहीं हो सकती चिट्ठियों की भरपाई
हाजी रियाज अहमद कहते हैं कि मोबाइल ने बेशक हाथ की लिखी चिट्ठियों की जगह लेने की कोशिश की है, लेकिन ये सच है कि चिट्ठी की जगह की भरपाई किसी चीज से नहीं की जा सकती। चिट्ठी में लिखा भाव कलम से नहीं बल्कि दिल से लिखा जाता है जो पढ़ने वाले के दिलोदिमाग में उतर जाता है।
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नेताजी मुलायम सिंह यादव चिट्ठी से ही देते हैं सूचना
सपा नेता कहते हैं कि नेताजी मुलायम सिंह यादव ने जब कभी भी मुझे पार्टी में पदाधिकारी बनाया तो फोन नहीं किया बल्कि चिट्ठी के माध्यम से सूचना दी। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए वे आज भी तमाम मौकों पर कार्यकर्ताओं को चिट्ठी भेजते हैं। हाजी रियाज अहमद का कहना है वे जब ईद, बकरीद, होली, दीवाली, 26 जनवरी और 15 अगस्त को कार्यकर्ताओं को मैसेज की जगह मुबारकबाद की चिट्ठी भेजते हैं तो कार्यकर्ता उसे जेब में रखकर पूरे गांव में दिखाते हैं। उन्हें लगता है कि चिट्ठी के जरिए उन्हें अपनापन भेजा गया है। उन्होंने कहा कि चिट्ठी से जो प्रेमभाव बनता है वो कभी मैसेज से नहीं बन सकता है। इसलिए वे आज भी चिट्ठियां भेजते हैं।

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