– सरकार ने श्रम मजदूरी विधेयक को पूरे देश में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण करने के लिए केंद्र को समर्थ बनाने के निमित मंजूरी प्रदान की है।
– इससे चार वर्तमान श्रम कानून के प्रावधान संयोजित हो जाएंगे और सम्पूर्ण कार्यदल के लिए न्यूनतम मजदूरी की रक्षा करने के लिए कानूनी प्रावधानों में वृद्धि होगी।
– इससे करीब 50 करोड़ कामगारों को लाभ मिलने के साथ-साथ क्षेत्र अथवा मजदूरी की सीमा के बावजूद सभी कर्मचारियों को समय पर मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा।
– इससे व्यवसाय की सुगमता भी सुनिश्चित होगी। इसमें 32 केंद्रीय श्रम कानूनों को 4 वर्गों में सरलीकृत किया गया है। इस समय अनेक राज्यों में न्यूनतम मजदूरियां हैं। यह श्रम कानून इन्हें सरल बनाता है।
– 10 या अधिक कामगारों वाली किसी भी व्यासायिक निकाय के लिए अपने सभी कामगारों को नियुक्तिपत्र जारी करना और वार्षिक आधार पर डॉक्टरी जांच कराना अनिवार्य होगा।
– साथ ही महिलाएं रात की शिफ्ट में स्वेच्छा से काम करने का विकल्प दे सकती हैं।
– इससे सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों के प्रावधानों में सुधार होता है।
– नये विधेयक में शिशु देखभाल (क्रेच), कैंटीन, फर्स्ट ऐड, कल्याण अधिकारी जैसे प्रावधानों को एकसमान बनाने पर विचार किया गया है।
– इस विधेयक में न केवल कामगारों के लाभ अपितु फर्मों के लिए काम की सुगमता को भी सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखा गया है।
– इसमें एक प्रतिष्ठान के लिए एक पंजीकरण का निर्धारण किया गया है। वर्तमान में 13 अधिनियमों से छह श्रम अधिनियमों में अलग-अलग पंजीकरण की व्यवस्था है।
– इस विधेयक में अनके लाइसेंसों के स्थान पर एक ही लाइसेंस तथा विवरणीयों का प्रावधान किया गया है और वर्तमान 13 श्रम कानूनों को श्रमसुधारों में समायोजित कर दिया गया है।
– एक लाइसेंस और एक विवरणी के चलते प्रतिस्थापना के समय, संसाधन और प्रयासों की बचत होगी।