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जेएनयू में एबीवीपी के उपाध्यक्ष जतिन गोराया ने दिया इस्तीफा

दलितों के प्रति संगठन के रुख और राष्ट्रवाद की घृणित विचारधारा के विरोध में उठाया कदम,  फेसबुक पर साझा की एबीवीपी के बारे में अपनी राय, दलितों के प्रति एबीवीपी के रुख से थकने की बात दोहराई

Aug 28, 2016 / 01:46 pm

Rakesh Mishra

Jatin-Goraya

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नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इकाई के उपाध्यक्ष जतिन गोराया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। गोराया ने कहा है कि वह दलितों के खिलाफ हमलों पर एबीवीपी के रुख से ‘उकता’ चुके हैं। गोराया भाजपा की छात्र शाखा के ऐसे चौथे सदस्य हैं, जिन्होंने इस साल कुछ निश्चित मतभेदों के कारण संगठन से इस्तीफा दिया। नौ फरवरी को जेएनयू परिसर में कथित ‘देशद्रोही नारेबाजी’ की घटना के बाद तत्कालीन एबीवीपी जेएनयू इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल और दो अन्य ने भी अपने पदों से इस्तीफा दिया था।

एबीवीपी को बताया जातिवाद, हास्यास्पद और पुरुष प्रधान संगठन
गोराया ने इपने इस्तीफे की जानकारी फेसबुक अकाउंट पर साझा की है। गोराया ने अपने पोस्ट में लिखा है, ‘मैं एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं और खुद को एक जातिवाद, हास्यास्पद और पुरुष प्रधान संगठन से अलग करता हूं। एबीवीपी का आचरण उसके जोड़तोड़ वाले फासीवादी तथा रूढि़वादी चेहरे को उजागर करता है।Ó

जेएनयू को किया कलंकित
जतिन ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा कि रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या और नौ फरवरी को हुई जेएनयू घटना से लेकर उना में दलितों की गरिमा और सामाजिक न्याय पर सवाल के संबंध में बढ़ती घटनाओं पर एबीवीपी ने विपरीत रूख लिया है। यह बिलकुल भी चौंकाने वाली बात नहीं है कि एबीवीपी ने फर्जी राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद विरोधी बयानबाजी और अपनी फूट को उजागर कर और हम पर राष्ट्रवाद की अपनी घृणित विचारधारा थोपकर हमारी स्वयं की संस्था को कलंकित किया है।

वेमुला को श्रद्धांजलि है मेरा इस्तीफा
पोस्ट के आखिर में गोराया ने लिखा कि मेरा यह इस्तीफा रोहित वेमुला के सिद्धांतों को एक श्रद्धांजलि है। जिस जज्बे के साथ रोहित ने भगवाधारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उसी भावना के साथ हम अपनी आखिरी सांस तक इन ताकतों से लड़ते रहेंगे और हर बार इनके मंसूबों पर पानी फेरते रहेंगे।

मनु स्मृति की प्रति जला चुके हैं गोराया
इसी साल मार्च में ‘मनुस्मृति’ में ‘दलित एवं महिला विरोधी’ सिद्धांतों के विरुद्ध जेएनयू परिसर में प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों ने इस प्राचीन ग्रंथ के पन्ने जलाए थे, जिसमें गोराया भी शामिल थे।

अभी नहीं लिया भविष्य का फैसला
गोराया ने बताया कि उन्होंने अभी किसी और राजनीतिक संगठन से जुडऩे का फैसला नहीं लिया है। लेकिन कई लोग हैं, जो न तो लेफ्ट और न राइट से संतुष्ट है।

कुछ समय से मेरे एबीवीपी से मतभेद हैं। उन्होंने रोहित वेमुला मामले में कोई स्टैंड नहीं लिया और दलितों को लेकर हाल ही में हुई घटनाओं को लेकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। जेएनयू छात्रसंघ चुनावों से पहले मैंने यह स्टैंड लेने का फैसला लिया है।
– जतिन गोराया, एबीवीपी से इस्तीफा देने पर

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