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सैन्य अधिकारी की बेटी गीता बनीं JNU छात्रसंघ की अध्यक्ष

पिछले दिनों जेएनयू में टैंक लगाने पर शुरू हुआ विवाद के बीच आए चुनाव परिणाम में मेधावी छात्र गीता JNU छात्रसंघ की अध्यक्ष बनी हैं।

नई दिल्लीSep 10, 2017 / 11:08 am

Prashant Jha

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनाव के परिणाम घोषित हो गए हैं। सभी सीटों पर यूनाइटेड लेफ्ट ने कब्जा जमाया है। छात्रसंघ चुनाव में हरियाणा की गीता कुमारी अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। दरए*****ल गीता कुमारी हरियाणा के पानीपत की रहने वाली हैं। जीत के बाद उनके परिवार और दोस्तों में जश्न का माहौल है। गीता शुरू से ही पढ़ने में मेधावी रही हैं। गीता अभी जेएनयू में इतिहास से एमफिल कर रही हैं और गीता का यह दूसरा साल है। इससे पहले गीता जेएनयू से फ्रेंच में बीए फिर आधुनिक इतिहास में एमए किया है। गीता के पिता सेना के आर्डिनेंस विभाग में हैं। गीता की मानें तो छात्र राजनीति से जुड़ने के पीछे समाज को शिक्षत और बेहतर करना है। उनका कहना है कि वो देश में यूथ की ग्रोथ के लिए पॉलिसी लेवल पर बदलाव चाहती हैं।
राजनीति में कदम रखना नहीं था आसान

हालांकि गीता का राजनीति में आना उतना आसान भी नहीं था।गीता के मुताबिक शुरू-शुरू में परिवार वालों ने राजनीति में आने का काफी विरोध किया। माता पिता के सामने जब मैंने ये प्रस्ताव रखा तो उन लोगों ने साफ मना कर दिया। यहां तक की रिश्तेदार भी इसके खिलाफ थे। लेकिन मेरे अंदर कुछ करने की चाहत थी और फिर मैंने ठान ली कि छात्रों के खिलाफ होने वाली गतिविधि को उठाऊंगी। और इसी का नतीजा है कि मैं आज छात्रों के समर्थन से चुनाव जीती हूं। हां अब हमारे माता-पिता राजनीति करने का विरोध नहीं करते। बल्कि अब उन्हें राजनीति करना पसंद है। गीता ने बताया कि उनके माता-पिता उनकी जीत से खुश हैं।
ये होगी प्राथमिकता

गीता ने बताया कि 9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना के बाद उनके माता-पिता जेएनयू के पक्ष में खड़े थे। हालांकि वे गीता को संभलकर रहने की सलाह भी देते हैं।गीता की पहली प्राथमिकता यूजीसी द्वारा जेएनयू में की गई सीट कट के खिलाफ लड़ना गायब छात्र नजीब को न्याय दिलवाने के लिए के आवाज उठाना। नए हॉस्टल बनाने समेत कई मुद्दें हैं।
जीत का श्रेय छात्रों को

जीत के बाद गीता कुमारी ने कहा कि मैं इस जश्न के मौके का श्रेय जेएनयू के उन छात्रों को देती हूं जो मानते हैं कि यह इस जैसी लोकतांत्रिक जगह को बचाए रखने की जरूरत है। गौरतलब है कि वाम गठबंधन की संयुक्त उम्मीदवार गीता कुमारी ने 1506 वोट प्राप्त कर एबीवीपी की निधि त्रिपाठी को हराया है। निधि त्रिपाठी को 1024 वोट मिले हैं।

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