बिहार कैबिनेट की बैठक आज, तेजस्वी और महागठबंधन पर फैसला लेंगे नीतीश
बिहार कैबिनेट की बैठक से पहले अटकलें तेज हैं कि सीएम नीतीश कुमार इस बैठक में तेजस्वी और महागठबंधन को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं। नीतीश का ये फैसला बिहार सरकार और सियासत दोनों में ऐतिहासिक हो सकता है।
नई दिल्ली। पूरे देश में बिहार की सियासत पिछले कुछ समय से कुछ ज्यादा ही चर्चा में है। तेजस्वी विवाद के शुरु होने के बाद मंगलवार को बिहार कैबिनेट की पहली बैठक है। अटकलें तेज हैं कि सीएम नीतीश कुमार इस बैठक में तेजस्वी और महागठबंधन को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं। नीतीश ने तेजस्वी पर सीबीआई एफआईआर के बाद ही कह दिया था कि वह भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। तेजस्वी के इस्तीफे की मांग पर सियासत गर्माने का सीधा असर महागठबंधन पर देखने को मिल रहा है।
तेजस्वी के इस्तीफे से लालू का इनकार
इससे कुछ दिन पहले ही दोनों कैबिनेट बैठक में आमने-सामने आए थे, जिसके बाद तेजस्वी के सुरक्षाकर्मियों ने मीडिया के साथ हाथापाई की थी। शुक्रवार को लालू ने तेजस्वी के इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया था। ऐसे में नीतीश और लालू के बीच मतभेद और बढ़ गया है। इस कार्यक्रम से पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा है कि नीतीश ने नैतिकता का उच्च मापदंड स्थापित किया है और खुद पहले ऐसे मामलों में इस्तीफा दे चुके हैं। यानी तेजस्वी के लिए इशारा साफ है।
7 जुलाई लालू परिवार पर शरु हुई सीबीआई छापेमारी की आंच जब तेजस्वी तक पहुंची तो बिहार की सियासत में नया उबाल आ गया। बेनामी संपत्ति अर्जित करने के मामले में लालू, राबड़ी, मीसा समेत तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया है। जिसके बाद नीतीश कुमार ने साफ साफ कह दिया कि वह किसी भी हाल में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे। तो आरजेडी भी इस्तीफा नहीं देने के फैसले पर अड़ी हुई है।
नीतीश के साथ मंच पर नहीं पहुंचे तेजस्वी, हटाई नेम प्लेट
भ्रष्टाचार का केस होने के बाद पहली बार शनिवार को तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश यादव को एक साथ मंच साझा करना था। सीएम और डिप्टी सीएम को वर्ल्ड यूथ स्किल डे के मौके पर पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन तेजस्वी यादव कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। मंच से तेजस्वी यादव की नेम प्लेट भी हटा ली गई है। इससे पहले मंच पर सीएम की कुर्सी के पास उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की नेम प्लेट को ढंक दिया गया था। यह इसलिए था, क्योंकि आयोजकों को यह भी संदेह था कि क्या कार्यक्रम में तेजस्वी आएंगे या नहीं।
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी को कैबिनेट से बाहर किए जाते ही आरजेडी के 11 मंत्री भी इस्तीफा दे देंगे, लेकिन गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देती रहेगी ताकि महागठबंधन अटूट रहे। आरजेडी का मानना है कि इस कदम से वोटरों के बीच तेजस्वी के प्रति सहानुभूति बढ़ेगी। इसके अलावा, पार्टी पर जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन तोड़ने का आरोप भी नहीं लगेगा। बता दें कि आरजेडी प्रमुख लालू कई बार यह बात कह चुके हैं कि वह बीजेपी और आरएसएस से लड़ने के लिए महागठबंधन की हिफाजत करेंगे। माना जा रहा है कि यदि महागठबंधन टूटता है तो इन पार्टियों को 2019 के आम चुनाव में नुकसान हो सकता है।