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Bihar Election: BJP के बाद अब JDU की बड़ी कार्रवाई, 15 बागी नेताओं को किया पार्टी से निष्कासित बिहार में जाति समीकरण दरअसल, एक समय था जब बिहार में सवर्णों का दबदबा था। हालांकि, आज भी राज्य में सवर्णों का वर्चस्व जरूर है। लेकिन, राजनीति में पिछड़ों का दबदबा है। जिस भी पार्टी की सरकार बने, इनकी भूमिका काफी अहम होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में आधी आबादी ओबीसी की है। इसके अलावा मुसलमान और दलित भी काफी संख्या में हैं। राज्य में 15 फीसदी यादव हैं। वहीं, कोइरी जाति की आबादी आठ फीसदी है। कुर्मी की आबादी चार फीसदी है। जबकि, 16 फीसदी मुसलमान हैं। मुसहर की बात की जाए तो राज्य में इनकी आबादी पांच प्रतिशत है। पिछले चुनाव की बात की जाए तो कुल 61 यादव उम्मीदवार जीते थे। वहीं, कोइरी जाति के 19 विधायक को जीत मिली थी। जबकि, कुर्मी जाति से 16 लोग विधायक बने थे। वहीं, 24 मुसलमान उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। लेकिन, मुसहर जाति से कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका।
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चिराग को बड़ा झटका, पिता LJP से सांसद, बेटे को RJD ने दिया टिकट जातिगत वोट पर पार्टियों की नजर अगर बात जातिगत वोट की हो तो इस समय बीजेपी, राजद और जेडीयू का पलरा भारी है। सरकार बनाने में इन तीन पार्टियों की भूमिका काफी अहम है। इस साल जातिगत वोट को लेकर NDA पलड़ा भारी नजर आ रहा है। जानकारों का कहना है कि इस समय जो माहौल है और नेताओं की लोकप्रियता है, उसके हिसाब से जाति समीकरण एनडीए की तरफ है। लेकिन, राजद का भी अपना एक अलग दबदबा है। लिहाजा, जातिगत वोट पर उसका भी कब्जा हो सकता है। ऐसे में सभी पार्टियों के लिए जातिगत वोट को साधना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि जो भी पार्टी इस में कामयाब हो गई है। राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनना तय है।