सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने नेताओं को सीएबी और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के बारे में समझाया। पूर्वोत्तर के नेता नागरिकता संशोधन विधेयक का कई बार विरोध कर चुके हैं। असम में स्थानीय नेताओं ने प्रस्तावित संशोधन पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि यह विधेयक 1985 के असम समझौते को रद्द कर देगा।
मिजोरम के नेता सीएबी का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि यह बौद्ध चकमा शरणार्थियों को भारतीय नागरिक बना देगा। यहां तक कि त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने भी प्रस्तावित कानून का विरोध किया है।
विपक्षी दल इस विधेयक का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता की बात कही जा रही है, जबकि संविधान धर्म के आधार पर नागरिकता देने या भेदभाव करने की अनुमति नहीं देता।
यह कानून गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए भारत का नागरिक बनने के दरवाजे खोलेगा। यह विधेयक हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने के बाद भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देगा।