तेदेपा के छह में से चार राज्यसभा सांसदों को बीते जून में अपने पाने में लाने में सफल रही भाजपा ने सोमवार को नायडू सरकार में पूर्व मंत्री और तीन बार के विधायक आदिनारायण रेड्डी को भी तोड़ लिया। रेड्डी के भाजपा में शामिल होने के बाद अन्य नेताओं के भी दलबदल की अटकलें लगने लगीं हैं। तेदेपा के एक दर्जन विधायक पहले से भाजपा के संपर्क में हैं, मगर इन्हें भाजपा एक रणनीति के तहत अभी शामिल नहीं करना चाहती।
BIG BREAKING सांसद की पत्नी ने रेप को लेकर फेसबुक पर डाला ऐसा वीडियो…कि हर तरफ मचा बवाल…रेप और..इस चीज के बीच बताया खास कनेक्शन भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सत्या कुमार ने आईएएनएस से इन विधायकों के पार्टी के संपर्क में होने की पुष्टि करते हुए कहा, “राज्य में नायडू की पार्टी बिखर चुकी है। आने वाला वक्त अब भाजपा का है। यही वजह है कि राज्य में तेदेपा का हर नेता भाजपा में आना चाहता है। मगर भाजपा एक-एक करके किसी को नहीं शामिल करेगी।”
दरअसल, किसी पार्टी के दो-तिहाई सांसद या विधायक एक साथ दूसरे दल में जाते हैं तो उन पर दलबदल विरोधी कानून नहीं लागू होता। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने दलबदल को तैयार तेदेपा के एक दर्जन विधायकों से साफ कह दिया है कि वह फुटकर में उन्हें शामिल नहीं करेगी। अगर तेदेपा के एक साथ १६ विधायक आने को तैयार हों तो पार्टी जरूर विचार कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि १६ विधायकों के एक साथ आने से उनकी सदस्यता पर किसी तरह का खतरा नहीं होगा और वे भाजपा के विधायक बन जाएंगे। जून में भी भाजपा ने इसी रणनीति के तहत तेदेपा के छह में से चार राज्यसभा सांसदों के आने पर ही उन्हें पार्टी में शामिल किया था। दो-तिहाई संख्या होने के कारण उन पर दलबदल विरोधी कानून नहीं लागू हुआ था।
सूत्र बताते हैं कि यदि तेदेपा के 16 विधायकों को एक साथ तोड़ने में भाजपा सफल हुई तो वह विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने के बावजूद सीधे मुख्य विपक्षी दल बन जाएगी।
इस साल लोकसभा के साथ हुए विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने 175 सदस्यीय विधानसभा में 151 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि 2014 में 103 सीटें जीतने वाली चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा को सिर्फ 23 सीटों से ही संतोष कर दूसरे स्थान पर रहना पड़ा था। पिछली बार चार सीटें जीतने वाली भाजपा का इस बार खाता भी नहीं खुला था।