नितिन गडकरी ने कहा कि हम मार्च 2019 तक 70 से 80 प्रतिशत गंगा के स्वच्छ होने की उम्मीद करते हैं। यह आम धारणा है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कोई प्रगति नहीं हुई है, लेकिन यह सही नहीं है। 251 सकल प्रदूषण उद्योग (जीपीआई) को बंद कर दिया गया और गैर अनुपालन जीपीआई को बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
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गंगा किनारे 4 हजार गांव खुले में शौच से मुक्तकेंद्रीय मंत्री ने कहा कि 938 उद्योगों और 211 मुख्य ‘नालों’ में प्रदूषण की ‘रियल-टाइम मॉनिटोरिंग’ पूरी हो चुकी है, जो नदी को प्रदूषित करते हैं उनकी पहचान हो चुकी है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए राज्य सरकारों के अधिकारियों, ठेकेदारों और सलाहकारों के साथ समीक्षा बैठक पूरी हो चुकी है। वहीं केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा के किनारे स्थित लगभग 4,470 गांवों को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया है।
बता दें कि पिछले साल 5 जून को आईटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक बताया गया था कि केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार ने गंगा की साफ-सफाई के लिए नामामि गंगे योजना शुरू की है। इसके लिए हजारों करोड़ रुपये के बजट तैयार किए गए हैं। लेकिन, इस बजट का आधा पैसा भी खर्च नहीं हो सका। आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, इस योजना में वित्तीय वर्ष 2014-15 में गंगा सफाई के लिए 2053 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, जिसमें से महज 326 करोड़ रुपये जारी किए गए। इसमें से केवल 170 करोड़ 99 लाख रुपए ही खर्च हो पाए। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2015-16 में 1650 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, जिसमें से 1632 करोड़ रुपए जारी किए गए और केवल 602 करोड़ 60 लाख रुपए ही खर्च हो पाए। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1675 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया, लेकिन केवल 1062 करोड़ 81 लाख रुपए ही खर्च किए जा सके थे।