राजनीति

जेएनयू में सीएए, एनआरसी पर बोले चिदंबरम, कहा- भारत में धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं

NSUI के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे चिदंबरम
पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर कसे तंज
कहा- CAA का ड्राफ्ट कमजोर

Feb 14, 2020 / 11:14 am

Navyavesh Navrahi

जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के बाहर एनएसयूआई की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि- “एनपीआर एनआरसी और सीएए तीनों अलग हैं लेकिन तीनो इंटरकनेक्टेड है, संविधान में नागरिकता का प्रावधान है और पूरे विश्व में हर जगह देश के अंदर रहने वाले नागरिकों को नागरिकता का प्रावधान होता है। अगर किसी पिता, ग्रैंड पेरेंट्स इंडिया में रह चुके हैं उनके बच्चे यहीं के नागरिक होते हैं।”
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नागरिकता अनुछेद बनाने में बाबा साहेब को लगे थे तीन महीने

वह वहां मौजूद छात्रों को सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर संबोधित कर रहे थे। चिदंबरम ने कहा कि बाबा साहेब की ओर से तीन महीने का समय लगा था संविधान में नागरिकता के अनुच्छेद को बनाने में। लेकिन 8 दिसंबर को सीएए ड्राफ्ट हुआ, अगले दिन लोकसभा में पास किया गया और 11 दिसंबर को राज्यसभा में पास कर दिया गया।
जेएनयू का नाम भी बदल सकता है!

चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ दिनों में जेएनयू का नाम मोदी यूनिवर्सिटी या फिर अमित शाह यूनिवर्सिटी हो सकता है।” उन्होंने कहा कि सिटिजनशिप को टेरिटरी बेस की जगह रिलीजियस बेस पर दिया जा रहा है और कई देशों में धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है। लेकिन भारत इस आधार पर नहीं बना था। बीजेपी ने तीन देशों को अपने नागरिक के आधार पर चुना। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान हमारे पड़ोसी हैं, तो भूटान, म्यांमार, चीन, श्रीलंका, नेपाल क्या हमारे पड़ोसी नहीं हैं? अगर अल्पसंख्यकों के रिलिजियस परसिक्यूशन पर ही नागरिकता दे रहे हैं तो फिर अहमदिया का पाकिस्तान में, रोहिंग्या का म्यांमार में, तमिल हिंदू-तमिल मुसलमान के लोगों पर क्यों नहीं सोच रहे?”
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कांग्रेस ने हिंदुओं को नागरिकता देने से मना नहीं किया

उन्होंने कहा कि- “सीएए बहुत कमजोर ड्राफ्ट है लेकिन हमारी आपत्ति है कि परसिक्यूशन केवल धार्मिक ही क्यों, भाषा, रेस, लिंग, राजनीतिक भेदभाव के आधार पर क्यों नहीं? कोई भी मुझे यह बता दे कि कांग्रेस के किसी नेता ने तीनों देशों के हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने से मना किया हो। हम तो स्वागत करते हैं लेकिन और भी जो अन्य तरीके से परसिक्यूटेड हैं तो उनको भी बिल में शामिल कीजिए।” चिदंबरम ने कहा कि- “असम में एनआरसी में हिंदुओं के ज्यादा नाम आने की वजह से सीएए को लाया गया है और मैंने संसद में पूछा कि किसी देश से बात हुई कि इन्हें कहां और कैसे भेजेंगे? तो अमित शाह ने कहा कि हम 2024 से पहले सबको भेज देंगे।”
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छात्रों को सुनाया किस्सा

वहां मौजूद छात्रों को चिदंबरम ने एक किस्सा सुनाया। उसके बाद कहा कि- “मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मेरे स्कूल के सर्टिफिकेट और एसएलसी कहां है तो उन्होंने कहा कि आपके माताजी को तो पता था लेकिन मुझे नहीं पता है। अब मैं प्रधानमंत्री की तरह डिग्री तो प्रोड्यूस नहीं कर सकता। जेएनयू में भाषण खत्म करते वक्त चिदंबरम ने कहा कि सीएए का विरोध शाहीनबाग के अलावा देश के कई हिस्सों में हो रहा है और यह विरोध सीएए को ‘लीगली डिफीट’ करने के लिए किया जा रहा है।

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