इस जंग की सुबह नहीं…
सीएम केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल और गृह मंत्रालय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की ‘एक अजीब तरह से’ व्याख्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “वे लोग कह रहे हैं कि वे फाइलों और फैसले के एक भाग को मानने के लिए तैयार हैं, लेकिन सेवा पर दिए गए फैसले को नहीं मानेंगे। ऐसा नहीं होता है, या तो पूरा फैसला स्वीकार करें या न करें। आप अपने इच्छानुसार फैसले स्वीकार नहीं कर सकते।” साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि एक तरफ तो गृह मंत्रालय कह रहा है कि वह उपराज्यपाल के कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, लेकिन उनके द्वारा खुद शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार, उन्होंने उपराज्यपाल को सेवा पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने तक इंतजार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “अदालत ने कहा है कि तीन मामलों (पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था) को छोड़कर सेवा समेत सभी शक्तियां दिल्ली सरकार के पास हैं। फैसला अब एक कानून बन चुका है, वे लोग इसे नहीं मान रहे हैं। यह न्यायालय की अवमानना है।” उल्लेखनीय है कि हाल ही में दिल्ली सरकार और एलजी के अधिकारों को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुे कहा है कि उपराज्यपाल हर मामले पर असहमति नहीं जता सकते हैं। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि एलजी को कैबिनेट की सलाह पर काम करना होगा। संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्मति से माना कि चुनी हुई सरकार और मंत्रिमंडल के पास असली शक्ति है। इस फैसले से आम आदमी पार्टी खुश नजर आई और इसे जनता की जीत करार दिया। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा।