कांग्रेस बोली- मोदी सरकार सिर्फ दिखावा कर रही
गहलोत की यह टिप्पणी उस रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि सरकार अगले साल कुछ राज्यों में पहले व कुछ राज्यों में देरी कर 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव कराने पर विचार कर रही है। गहलोत ने कहा कि अगर वे लोकसभा को पहले भंग कर ऐसा करते हैं तो हम लोकसभा व राज्य विधानसभा चुनाव दोनों एक साथ लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा करने के प्रति गंभीर व ईमानदार नहीं है और इसका सिर्फ राजनीतिक रूप से फायदा लेना चाहती है। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी सिर्फ इसे दिखा रहे हैं कि वे राष्ट्र के बारे में बहुत चिंतित हैं और चुनाव पर होने वाला खर्च बहुत ज्यादा है। वे सिर्फ इस पर राजनीति खेल रहे हैं।
चुनाव टला तो जाएंगे कोर्ट- विवेक तन्खा
राजस्थान की मतदाता सूचियों में गड़बड़ी के बारे में शिकायत करने के लिए निर्वाचन आयोग गए गहलोत के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि राज्य विधानसभाओं की अवधि बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी। तन्खा ने यह भी कहा कि अगर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव टालने की कोशिश करती है तो वह अदालत जाएंगे।
एकसाथ चुनाव का कोई इरादा नहीं: संबित पात्रा
वहीं दूसरी ओर बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी और मोदी सरकार का कोई इरादा नहीं है कि लोकसभा चुनावों के साथ ही 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव करवाया जाए। संबित पात्रा ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि बीजेपी संभवत: 11 राज्यों में एक साथ चुनाव करवाना चाहती है। पार्टी ऐसी किसी भी भ्रांत धारणा को खारिज करती है। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव को लेकर बीजेपी की वही भावना है जो हमारे अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग के अध्यक्ष को लिखे पत्र में व्यक्त की है। डॉ. पात्रा ने कहा कि शाह ने पत्र में कहीं भी नहीं कहा है कि बीजेपी 2019 में लोकसभा चुनावों के साथ 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव करवाना चाहती है।
आयोग बोला- अभी एकसाथ चुनाव संभव नहीं
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा है कि मौजूदा हालात में पूरे देश में एक साथ चुनाव संभव नहीं है। हालांकि चुनाव आयुक्त ने कहा कि अगर चरणबद्ध तरीके से कराया जाए तो कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ संभव हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक साथ चुनाव बिल्कुल कराए जा सकते हैं। अगर कानून में संशोधन हो, मशीनें पर्याप्त हों और सुरक्षाकर्मी जरूरत के हिसाब से हों, तो ऐसा संभव है।