गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को फोन करके राज्य के लिये दूसरी व्यवस्था करने को कहा है। इसके बाद बीजेपी के पर्यवेक्षक संगठन महासचिव रामलाल और वरिष्ठ नेता बी एल संतोष को गोवा भेजा की तैयारी है ताकि वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा सके। केंद्रीय टीम गोवा पहुंचकर वहां की स्थिति के मुताबिक कोई विकल्प तलाशने की कोशिश करेगी जब तक कि पर्रिकर की हेल्थ को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती।
भाजपा के लिए मनोहर पर्रिकर का विकल्प तैयार करना बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन इतिहास को टटोला जाए तो फ्रांसिस डिसूजा पार्टी और नेताओं की पसंद हो सकते हैं। दरअसल पर्रिकर को जब 15 फरवरी को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब गोवा भाजपा विधायक दल ने बजट सत्र शुरू होने से पहले एक बैठक की और मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की अनुपस्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता फ्रांसिस डिसूजा को सदन में अपना नेता चुना।
गोवा भाजपा के प्रमुख विनय तेंदुलकर ने बैठक के बाद कहा, फ्रांसिस डिसूजा हमारे दल में अत्यंत वरिष्ठ नेता हैं। इसलिए पर्रिकर के वापस आने तक डिसूजा नेता होंगे। ऐसे में जब पहले भी पर्रिकर के विकल्प के तौर पर पार्टी और खासकर गोवा भाजपा दल के नेताओं ने डिसूजा के नाम पर सहमति जताई थी ऐसे में डिसूजा के नाम पर इस बार भी मुहर लग सकती है।
महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के नेता सुधीन धवलीकर को अतिरिक्त कार्यभार दिया जा सकता है। सुधीन को मुख्यमंत्री कार्यालय संभालने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। शुक्रवार शाम को सुधीन ने गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर से अस्पताल में मुलाकात की थी। पिछली बार जब पर्रिकर इलाज कराने के लिए विदेश गए थे तब उन्होंने 3 मंत्रियों को राज्य से जुड़े मामले देखने की जिम्मेदारी दी थी।
गोवा में सरकार बनाने के लिए भाजपा के सामने कई चुनौतियां हैं। खास तौर पर गठबंधन को बचाए रखना। दरअसल 2017 के विधानसभ चुनाव में जब किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था तो अन्य दलों ने भाजपा की गठबंधन सरकार को तभी समर्थन दिया था जब मनोहर पर्रिकर मुख्यमंत्री रहे। समर्थन पर्रिकर को था भाजपा को नहीं। ऐसे में नया विकल्प दलों को समझ नहीं आया तो समर्थन वापस हो सकता है और सरकार गिर सकती है।
मनोहर पर्रिकर की ये खासियत थी कि बहुत कार्यकुशल मुख्यमंत्री रहे हैं। वो गठबंधन के सभी पक्षों को साथ लेकर चल सकते हैं। ऐसे में भाजपा के सामने ऐसा चेहरा नहीं है जो गठबंधन के सभी पक्षों को साधने में माहिर हो।
गोवा में सरकार गिरती है तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। कांग्रेस के पास एक बार फिर मौका होगा कि वो गोवा में अपनी सरकार बना सके। भाजपा को समर्थन देने वाले पक्षों को कांग्रेस अपने पक्ष में करने की जी तोड़ कोशिश करेगी।
गोवा में 40 सीटों की विधानसभा है। इसमें बीजेपी के 14 विधायक हैं, 3 महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के, 3 गोवा फॉरवर्ड के और दो निर्दलीय हैं यानी 22 लोगों की गठबंधन सरकार है।